करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं ,जोधपुर के यह कबूतर जाने कितनी संपत्ति है इनके नाम

करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं ,जोधपुर के यह कबूतर जाने कितनी संपत्ति है इनके नाम

आज हम आपको ऐसे कबूतरों से मिलाने जा रहे हैं. जो जोधपुर में ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर कबूतरो में गिना जाता है. इन कबूतरों के नाम इतनी संपत्ति है. जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. क्योंकि अभी तक आपने इंसानों के अमीर होने की बात को सुना होगा. लेकिन कभी पक्षियों के अमीर होने की बात को कभी नहीं सुना होगा.

आप यह जानकर जरूर आश्चर्यचकित हो रहे होंगे .यह कबूतर कैसे करोड़पति हो सकते हैं .आपको यह जानकर अटपटा जरूर लगा होगा. लेकिन यह सच है कि असोप गांव के कबूतर करोड़पति है. इन कबूतरों के नाम अकाउंट बैलेंस करीब 30 लाख और उनके नाम 360 बीघा जमीन भी है. आप यह जरूर जाने की इच्छा कर रहे होंगे चलो जानते हैं . उनकी पूरी कहानी के बारे में…

असोप कस्बे में रहते हैं करोड़पति कबूतर

राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर का नाम तो आपने सुना ही होगा.जोधपुर से 90 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है .यहां पर करोड़पति कबूतर रहते हैं. कबूतरों के नाम 360 बीघा जमीन है जिसकी कीमत 20 करोड़ से ज्यादा है .इन्हीं पैसों से कबूतरों के लिए सारी व्यवस्था की जाती है. बाकी बचे पैसों को उनके अकाउंट में जमा करा दिया जाता है.

धनाढ्य लोगों ने लिख दी जमीन इन कबूतरों के नाम

आसोप गांव में कई रईस लोग रहा करते थे. जिनके कोई वारिस नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी सारी संपत्ति इन कबूतरों के नाम रख दी. अब तक यह जमीन 360 बीघा हो हो चुकी है. जिसकी कीमत करोड़ों में है. इसके अलावा कबूतरों के नाम कई दुकानें, वह चुग्गा डालने के लिए कहीं चबूतरे हैं. जहां पर इन कबूतरों के लिए दाना डाला जाता है.

ट्रस्ट के द्वारा होती कबूतरों की देखरेख

आसोप में कबूतरों के नाम जो संपत्ति है उसकी देखरेख एक ट्रस्ट के द्वारा की जाती है. उनके नाम से जमीन है. उसको इस ट्रस्ट के द्वारा किराए पर दे दिया जाता है. और उससे जो आमदनी होती है.उस आमदनी से कबूतरों के लिए सारी व्यवस्था की जाती है और बची हुई राशि को कबूतरों के नाम बैंकों में जमा करा दी जाती है.

दानवीर भी हैं यहां के कबूतर

कहा जाता है कि एक बार अकाल के चलते आसोप की गौशाला की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. गौशाला में चारा का संकट आ गया. ऐसी स्थिति में कबूतरों के इस ट्रस्ट से 10 लाख की राशि गौशाला के लिए दी गई. इस तरह गौशाला का आर्थिक सुधार इन कबूतरों की संपत्ति की मदद से हुआ.

Mukesh Saraswat

Mukesh Saraswat is Editor and Chief in Bwood tadka .He has total experience of 5 years in Mass Communication Media.

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