अच्छे पाचन तंत्र के लिए रोज़ सुबह करें ये योगा, गैस और बदहजमी होगी दूर

Smina Sumra
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अपने पाचन तंत्र को मज़बूत करने के लिए हम कई तरह के तरीकों को अपनाते हैं। लेकिन बहुत कम सुधार नज़र आता है। अगर आप चाहे तो नियमित रूप से इन पांच मुद्राओं का अभ्यास करके अपने पाचन तंत्र में सुधार ला सकते हैं।

Mudra for digestion: हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पाचन तंत्र का मज़बूत होना बहुत ज़रूरी होता है। अगर आपकी पाचन तंत्र कमज़ोर होगी तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है। पाचन तंत्र को मज़बूत करने के लिए हम कई तरीक़े अपनाते हैं लेकिन बहुत कम हो सुधार नज़र आता है। अगर आप चाहे तो नियमित रूप से सुबह के समय में कुछ ख़ास मुद्रा अभ्यास करके पाचन तंत्र में सुधार ला सकते हैं। योगा अभ्यास करके पाचन तंत्र से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं। इन मुद्रा को करने से गैस, एसिडिटी, अपच और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

पाचन तंत्र के लिए मुद्रा अभ्यास
(Mudra for digestion)

1. पुषाण मुद्रा

पुषाण मुद्रा का अभ्यास करना पाचन तंत्र के सुधार के लिए अच्छा विकल्प है। नियमित रूप से इसे करने से मतली, पेट फूलना और अपच जैसी परेशानी दूर होती है। पुषाण मुद्रा अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अपने जांघों पर अपने दोनों हाथों को रखें। इस समय आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए।

उसके बाद दाएं हाथ से अंगूठे, मध्यमा और तर्जनी उंगलियों की युक्ति को एक साथ दबाएं। बाकि दोनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें। साथ-साथ अपने बाएं हाथ की मध्यमा और अनामिका उंगली की नोक को अंगूठे से मिला लें। इस योगा अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। लंबी गहरी सांस लें तथा ध्यान लगाएं।

2. प्राण मुद्रा अभ्यास

प्राण मुद्रा अभ्यास करने से पित की जलन में शांति मिलती है क्योंकि इसका प्रभाव सीधे पाचन तंत्र पर होता है। पित की जलन को शांत करने के लिए प्राण मुद्रा योगा अभ्यास कर सकते हैं। इस योगा अभ्यास को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। उसके बाद अपनी अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों की नोक को अंगूठी की नोक से मिलाएं। तर्जनी और मध्यमा उंगली को बिल्कुल सीधा रखें। इस मुद्रा अभ्यास को आप 10 मिनट तक कर सकते हैं। इस दौरान गहरी लंबी सांस लें तथा ध्यान लगाएं।

3. अपान मुद्रा अभ्यास

पाचन तंत्र को मज़बूत बनाने के लिए अपान मुद्रा अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इस मुद्रा अभ्यास को नियमित रूप से करने से गैस और अपच की समस्या में राहत मिलती है। योगा अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। आपकी हथेलियों ऊपर की ओर होनी चाहिए। उसके बाद अपने मध्यमा और अनामिका उंगली की छोर को अंगूठे की छोर से मिलाएं। बाकी दोनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें। और अपनी आंखों को बंद कर लें। फिर लंबी गहरी सांस लें और ध्यान लगाएं।

4. सहज अग्निसार मुद्रा अभ्यास

सहज अग्निसार मुद्रा अभ्यास करने से पाचन तंत्र और उससे संबंधित अंगो को शुद्ध करने में मदद मिलती है। इसको करने से कब्ज और गैस की समस्या दूर हो जाती है। अग्निसार मुद्रा अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। अपने कमर और रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधाई में रखें। अपने दोनों हथेलियों को अपने पेट पर रखें। अपने हथेलियों को नाभि के तरफ रखें। अपने दोनों हाथों की चारों उंगलियों से पेट पर हल्का दबाव डालें तथा पेट की मांसपेशियों के नीचे की ओर दबाएं। इस दौरान आप सांस लेते रहें और छोड़ते रहे।

5. गरूड़ मुद्रा

गरूड़ मुद्रा करने से आपको कब्ज की परेशानी नहीं होती है। और आपकी बड़ी आंत अच्छे से काम करना शुरू कर देती है। यह अभ्यास को करने से नकारात्मक ऊर्जा, तनाव, बुरे विचार को दूर करने तथा मन को शांत करने में मदद मिलती है। इस योगा अभ्यास को करने के लिए सबसे पहले बाएं हथेली को इस प्रकार से रखें कि दोनों हाथों की उंगलियां एक दूसरे को ढके नहीं। लगातार 10 बार सांस लें और छोड़ें। इसी तरह से हथेलियों को अपने सीने पर भी रखकर करें। इस प्रक्रिया को चार से पांच मिनट तक दोहराते रहें।

प्राणायाम भी है ज़रूरी

प्राणायाम करने से शरीर के विषैले पदार्थों और अन्य अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाता है। प्राणायाम किडनी और लीवर की समस्या में सुधार लाता है। प्राणायाम फेफड़ों को मज़बूत करने के साथ-साथ पाचन तंत्र को भी मज़बूत बनाता है। नियमित रूप से प्रतिदिन खाली पेट प्राणायाम करने से गैस, कब्ज, अपच और एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है।

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