आंखों की समस्या के अनुसार चुने अपना चश्मा, आइए डॉक्टर से जानें चश्में के प्रकार?

Smina Sumra
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Eye glasses

Eye glasses: आंखों की परेशानी के अनुसार आपको डॉक्टर की सलाह से चश्मा लेना चाहिए। आइए जानते हैं चश्मे के प्रकार के बारे में।

Eye glasses: आंखों का चश्मा दो चीज़ों से मिलकर बना होता हैं लेंस और फ्रेम। फ्रेम और लेंस कई प्रकार के होते हैं। जिसका उपयोग आपकी आंखों की समस्या के अनुसार किया जाता है। आंखों के डॉक्टर की सलाह पर ही किसी भी तरह के चश्मा (Eye glasses) को चुनना चाहिए। आजकल चश्मे की दुकान पर जाकर ज़्यादातर लोग अपने आंखों की जांच करवाते है। लेकिन डॉक्टर के पास ही अपने आंखों की जांच करवानी चाहिए। क्योंकि डॉक्टर आपको आंखों से जुड़ी परेशानियों को बता सकते हैं। बल्कि चश्मे की दुकान पर केवल आपको चश्मे का नंबर पता चलता है। आज हम अलग-अलग तरह के चश्मों के बारे में बात करेंगे।

:- पास और दूर की नज़र कमज़ोर होने पर कौन सा चश्मा लगाना चाहिए? (Which glasses should be worn when near and far vision is weak)

अगर आपको पास और दूर दोनों नज़र कमज़ोर होने की समस्या है, तो आपको मल्टीफोकल लेंस वाले चश्मे का उपयोग करना चाहिए। ऐसे चश्मे में एक हिस्सा करीब की चीज़ों को देखने के लिए या पढ़ने के लिए किया जाता है। वहीं दूसरा हिस्सा दूर की चीज़ों को देखने के लिए फोकस किया जाता है। दूर की नज़र कमज़ोर वाले लोगों के लिए मल्टीफोकल लेंस वाला चश्मा उपयोग किया जाता है।

:- पास की नज़र कमज़ोर हैं, तो सिंगल विज़न चश्मा लगाना चाहिए। (If near vision is weak, then single vision glasses should be worn)

अगर आपकी नज़दीक की नज़र कमज़ोर हैं, तो आपको नज़दीक में रखी हुई चीज़ों को देखने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा। जिन लोगों को पास की चीज़ें साफ़ नहीं दिखाई देती है। उन्हें सिंगल विज़न चश्मा लगाने की सलाह दी जाती है। 40 से 60 की उम्र होते होते नज़दीक की नज़र कमज़ोर हो जाती हैं। कुछ स्थिति में लोगों को दूर की चीज़ें नहीं दिखाई देती। या अगर मायोपिया रहती है तो डॉक्टर उन्हें भी सिंगल विज़न चश्मा लगाने की सलाह देते हैं।

:- फोटोक्रोमिक चश्मा कब लगाना चाहिए? (When should I wear photochromic glasses)

अगर आप अधिक देर तक धूप में रहते है या फील्ड वर्क करते हैं तो आपको फोटोक्रोमिक चश्मा लगाना चाहिए। फोटोक्रोमिक चश्मे का इस्तेमाल तेज़ धूप से आंखों को बचाने के लिए किया जाता हैं। जब भी आप चश्मा बनवाएं तो उस पर anti-reflective कोटिंग अवश्य लगवाएं। इससे आपकी आंखों को तेज़ रोशनी चकाचौंध या यूवी रेंज से सुरक्षा मिलती है। चश्मे पर यूवी कोटिंग के लिए आपको अलग से बताना होगा। क्योंकि यह आपके आंखों को सूरज की किरणों से बचाता हैं।

:- लैपटॉप या मोबाइल पर ज़्यादा काम करते हैं तो लगाएं चश्मा (If you work more on laptop or mobile then wear glasses)

अगर आप मोबाइल या लैपटॉप पर अधिक देर तक काम करते हैं तो आप मल्टीफोकल लेंस का इस्तेमाल करना चाहिए। कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने वाले लोगों के लिए विशेष तौर पर इस चश्मे को तैयार किया जाता है। इस चश्मे से आप चेहरे से 20 से 25 इंच की दूरी से आराम से देख सकते हैं। इस चश्मे को लगाने से आंखों पर दबाव नहीं पड़ता है। मोबाइल अधिक प्रयोग करने वाले लोग भी मल्टीफोकल लेंस वाले चश्मे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

:- खेल या शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए कौन सा चश्मा लगाना चाहिए? (Which glasses should be worn to engage in sports or physical activities)

अगर आप खेलकूद या शारीरिक गतिविधियों में ज़्यादा शामिल होते हैं तो आपको पॉली कार्बोनेटेड लेंस वाले चश्मे लगाने की सलाह डॉक्टर देते हैं। क्योंकि इस चश्मे का लेंस पतला और हल्का होता है। पॉलीकार्बोनेट लेंस वाले चश्मा आपकी आंखों को सुरक्षित रखता है। आज के समय में बनने वाले नॉर्मल चश्मे में प्लास्टिक लेंस का उपयोग होता है। ऐसे लेंस कांच की तुलना में हल्के और सुरक्षित होते हैं। और इसके टूटने की संभावना भी बहुत कम होती है।

:- चश्मा खरीदते समय कुछ बातों का ज़रूर ख़्याल रखना चाहिए। (There are a few things to keep in mind while buying glasses)

1. चश्मे का लेंस और फ्रेम आरामदायक होना चाहिए। और चेहरे पर अच्छे से फिट हो जाना चाहिए।

2. फ्रेम का वज़न कम होना चाहिए। और फ्रेम की वजह से नाक और कान पर ज़्यादा दबाव नहीं पड़ना चाहिए।

3. चश्मा ऐसा होना चाहिए जो पूरी आंखों को ढंक ले।

4. बच्चों का चश्मा खासतौर पर बड़ा होना चाहिए। नहीं तो बच्चे साइड से देखने लगते हैं। और आंखों को नुक़सान पहुंचाते हैं।

5. चश्मा को पहनते या निकालते समय दोनों हाथों का उपयोग करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से चश्मे का आकार बिगड़ जाता है।

:- आपको अपना चश्मा कब बदलना चाहिए? (When should you change your glasses)

1. बच्चों का चश्मा 6 महीने के चेकअप के बाद बदल देना चाहिए।

2. सामान्य व्यक्ति को 1 साल में अपना चश्मा बदल लेना चाहिए।

3. डायबिटीज़ के मरीजों को 6 महीने या 1 साल में चेकअप करा के आवश्यकतानुसार चश्मा बदल लेना चाहिए।

कौन सा चश्मा आपके लिए सबसे अच्छा है यह आप खुद तय कर सकते हैं। आपकी आंखों की परेशानी को देखते हुए आप आई स्पेशलिस्ट से सही चश्मे बनवाने की सलाह ले सकते हैं। लेंस के साथ-साथ फ्रेम भी ऐसा लेना चाहिए जो आपके चेहरे की शेप के अनुसार हो। ताकि आप चश्मे को ज़्यादा देर तक लगा कर रख सकें। वर्चुअल कैमरे की मदद से आप बहुत साइट्स पर जाकर कोशिश कर सकते हैं। इससे आपको चश्मा लेने में आसानी होगी।

 

 

 

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