5 hand gestures: हाथों की उंगलियों से करने वाली मुद्राओं को हस्त मुद्रा कहा जाता है। हस्त मुद्रा का अभ्यास मेडिटेशन के दौरान किया जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
5 hand gestures: मुद्रा आसन की स्थिति को कहा जाता है। मुद्रा कई प्रकार की होती है। उनमें से हस्त मुद्रा भी एक है। इसमें उंगलियों की मदद से विशेष तरह की आकृति बनाई जाती है। इन्हीं आकृतियों को हस्त मुद्रा कहा जाता है। कई तरह की हस्त मुद्राओं का इस्तेमाल मेडिटेशन के दौरान कर सकते हैं। इससे आपके सेहत को कई तरह के लाभ मिलते हैं।
इसके साथ-साथ आपको मेडिटेशन करने में भी मदद मिलती है। आइए आज हम बात करते हैं मेडिटेशन के लिए हस्त मुद्रा के बारे में और साथ ही इससे होने वाले फायदों के बारे में
:- ज्ञान मुद्रा
ज्ञान मुद्रा (5 hand gestures) आप मेडिटेशन के दौरान आसानी से कर सकते हैं। मेडिटेशन करने वाले ज़्यादातर लोग इस मुद्रा को करना पसंद करते हैं। एकाग्रता में सुधार लाने के लिए ज्ञान मुद्रा को किया जाता है। साथ ही इस मुद्रा को करने से आपकी याददाश्त आती भी तेज़ हो सकती है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस मुद्रा को किया जाता है। इस मुद्रा को करके आप किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
:- ज्ञान मुद्रा कैसे किया जाता है?
ज्ञान मुद्रा को करने के लिए अपनी तर्जनी को अपने अंगूठे की नोक से छुएं। और बाकी तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें।
:- बुद्धि मुद्रा
बुद्धि मुद्रा आप मेडिटेशन के दौरान कर सकते हैं। इस मुद्रा का अभ्यास करके आप अपने दिमाग को तेज़ कर सकते हैं। जब अवचेतन से सहज संदेशों को समझने की आवश्यकता होती है तब ज़्यादातर योग गुरु इस बुद्धि मुद्रा को करते हैं। नियमित रूप से इस मुद्रा का अभ्यास करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है। इसके साथ-साथ आप में सोचने समझने की शक्ति का विस्तार होता है।
:- बुद्धि मुद्रा को कैसे करें?
बुद्धि मुद्रा करने के लिए आप अपनी छोटी उंगली से अंगूठे को स्पर्श करें। इसके बाद बाकी तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा रखें।
:– शून्य मुद्रा
शून्य मुद्रा आप मेडिटेशन के दौरान आसानी से कर सकते हैं। अंतर्ज्ञान, सतर्कता और संवेदनशील शक्तियों को बढ़ाने के लिए शून्य मुद्रा किया जाता है। यह मुद्रा आपकी भावनाओं और विचारों में शुद्धता लाता है। नियमित रूप से शून्य मुद्रा का अभ्यास आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
:- शून्य मुद्रा कैसे किया जाता है?
शून्य मुद्रा करने के लिए बीच उंगली के सिरे को अंगूठे के सिरे से छूएं। इसके बाद बाकी तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा और स्थिर रखें।
:- प्राण मुद्रा
प्राण मुद्रा आप मेडिटेशन के दौरान आसानी से कर सकते हैं। निष्क्रिय ऊर्जा को पूर्ण जीवित करने के लिए प्राण मुद्रा किया जाता है। इसी वज़ह से इस मुद्रा को प्राण मुद्रा के नाम से जाना जाता है। व्यक्ति के अंदर पॉजिटिव एनर्जी लाने के लिए नियमित रूप से इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता है। प्राण मुद्रा करने से व्यक्ति काफ़ी हल्का महसूस करने लगता है।
:- प्राण मुद्रा कैसे किया जाता है
प्राण मुद्रा करने के लिए अपनी अनामिका (Ring finger) और पिंकी उंगली (Pinky finger) को अपने अंगूठे के सिरे से छुएं। इसके बाद बाकी दोनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा और स्थिर रखें।
:- सूर्य मुद्रा
सूर्य मुद्रा आप मेडिटेशन के दौरान आसानी से कर सकते हैं। अग्नि तत्व को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सूर्य मुद्रा का अभ्यास किया जाता है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म तेज़ होता है। सूर्य मुद्रा आपकी पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। नियमित रूप से सूर्य मुद्रा का अभ्यास करके शरीर के भारीपन को कम किया जा सकता है। खास तौर पर सूर्य मुद्रा का अभ्यास सर्दियों के मौसम में किया जाता है। क्योंकि इस मुद्रा को करने से आपके शरीर का तापमान अधिक हो जाता है।
:- सूर्य मुद्रा को कैसे किया जाता है?
सूर्य मुद्रा को करने के लिए अनामिका उंगली को अपने अंगूठे की आधार पर झुका लें। ताकि आपका अनूठा रिंग फिंगर के पोर को छू सके। इसके बाद बिना हाथ का दबाव डाले अन्य तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधा और स्थिर रखें।
:- हस्त मुद्रा करने के अन्य लाभ
1. बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास होता है।
2. आपकी एकाग्रता में सुधार होता है।
3. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
4. ज्ञान मुद्रा करने से सभी प्रकार के मानसिक रोग जैसे: गुस्सा, दु:ख, जलन, इत्यादि से छुटकारा मिलता है।
5. हस्त मुद्रा करने से आत्मज्ञान का विस्तार होता है।
मेडिटेशन के लिए आप नियमित रूप से हस्त मुद्राओं का अभ्यास कर सकते हैं। इससे आपको काफ़ी लाभ मिलेगा। हस्त मुद्राओं को करने से शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति का विकास बेहतर तरीक़े से होता है। आप नियमित रूप से हस्त मुद्रा को कर सकते हैं।