बाॅलीवुड इंडस्ट्री में कई दशक तक फिल्मों के माध्यम से लोगों का दिल जीतने वाले दिलीप कुमार इस साल 7 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह गए थे। भले ही दिलीप कुमार को गुजरे 6 महीने हो गए हैं पर उनकी तमाम यादें हैं जो लोगों को बीच हमेशा जिंदा रहेंगी।
11 दिसंबर यानी आज दिलीप कुमार का 99वां जन्मदिन है। इस दिन पर उनकी बेगम सायरा बानो अपने दिवंगत पति को काफी मिस कर रही हैं। अपने साहब के 99वें बर्थडे से पहले सायरा बानो ने इमोशनल करने वाला लेटर लिखा है। इस लैटर में सायरा बानो ने पति दिलीप कुमार की लाइफ की जानकारी शेयर की है।
सायरा बानो ने लिखा-’11 दिसंबर, 1922 पेशावर, पूर्व-विभाजन भारत में उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत। 11 दिसंबर की कड़कड़ाती ठंडी रात में जब पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में ठंडी हवाओं के झोंके से भीषण सर्दी हो रही थी, मेरी जान, यूसुफ साहब, पेशावर के एक फल व्यापारी मोहम्मद सरवर खान और आयशा बेगम के चौथे बच्चे के रूप में पैदा हुए थे। इस साल 11 दिसंबर को, जो कल है, उनका 99वां जन्मदिन होगा।’
सायरा बानो ने आगे लिखा-‘हम और सभी फैंस उनका जन्मदिन शांतिपूर्ण तरीके से मनाएंगे और ये मानेंगे कि वे हमारे बीच ही हैं। दिलीप साहब को इस बात का काफी गर्व था कि उनका जन्म अविभाजित भारत में हुआ और एक ज्वाइंट फैमिली में हुआ।
जहां बड़ों का सम्मान और छोटे सदस्यों और महिलाओं की देखभाल होती थी। लोग एक-दूसरे पर भरोसा करते थे। अपनी खुद की नजरों में वे एक बेहद साधारण शख्स थे जो अपने परिवार के साथ रहते थे। नौकरी करता था। इससे ज्यादा कुछ नहीं। वे कभी भी अपने आप को किसी भगवान की तरह नहीं मानते थे जैसा उनके फैंस उन्हें कह कर संबोधित करते थे।
पिता द्वारा दी गई देशभक्ति पर गर्व
सायरो बानो ने लिखा-‘दिलीप साहब को अपने पिता द्वारा अपने बच्चों को दी गई देशभक्ति पर भी गर्व था और उनके सभी भाई-बहनों को सभी समुदायों और सामाजिक और आर्थिक बैकग्राउंड के लोगों के साथ मिलने की आजादी दी गई थी। इसलिए अपनी शानदार जिंदगी के दौरान दिलीप साहब सभी वर्गों के लोगों के साथ पूरी तरह सहज थे।’
अपनी बात जारी रखते हुए सायरो बानो ने लेटर में लिखा-‘जब दिलीप साहब से मेरी शादी हो गई उसके बाद मुझे जीवन के साथ तालमेल बनाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। दिलीप साहब के दोस्त आते रहते थे और मुझे उनकी खातिर करने में अच्छा लगता था। सच्चे पठान की शैली में स्वागत होता था। हमारे जीवन के जितने भी स्पेशल मौके रहे हैं हमेशा दोस्तों और फैंस से भरे रहे हैं।
शानदार साज-सजावट, हर तरफ कैंडल लाइट्स, ईद हो या दीवाली। भले ही इस सालगिरह के मौके पर दिलीप साहब से मेरी बातचीत नहीं हो पाई मगर मुझे पता है कि वे हमारे साथ थे, हैं और हमेशा रहेंगे।’.
मैं आज भी अकेली नहीं हूं
लेटर में आगे लिखा-‘दिलीप साहब के फिल्म उद्योग और हमारे समुदाय के बाहर और भी दोस्त थे जिन्होंने बर्थडे, सालगिरह, ईद, दीवाली, क्रिसमस आदि अवसरों पर घर आकर सरप्राइज देते थे।’
इसके साथ ही दो महीने (11 अक्टूबर) पहले मनाए गए मैरेज एनिवर्सरी को लेकर उन्होंने कहा कि वो हमारे साथ थे, मेरा हाथ पकड़ा और बिना शब्दों के मुझसे संवाद किया। एक बार फिर मुझे पता है कि मैं अभी और हमेशा के लिए अकेली नहीं हूं। जन्मदिन मुबारक हो, जान।’,
बॉलीवुड में ट्रेजिडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार ने साल 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। इसके बाद दिलीप कुमार बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बने और उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं।