इस एक्टर ने पाकिस्तान से आकर बॉलीवुड में मचा दिया था तहलका

Shilpi Soni
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बॉलीवुड की दुनिया ऐसी दुनिया हैं जिसकी चकाचौंध हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां अपनी किस्‍मत अजमाने रोजाना हजारों लोग आते हैं लेकिन उनमें से चंद लोग की किस्मत ही साथ देती हैं और वह एक्टर बनकर सिल्‍वर स्‍क्रीन पर चमचमाते है। ऐसे ही सितारों में एक है एक्‍टर सुरेश ओबेरॉय। सुरेश ओबेरॉय अपने जमाने के मशहूर एक्टर्स में गिने जाते हैं।

सुरेश ओबरॉय का जन्म 17 दिसम्बर 1946 को क्वेटा, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में ‘विशाल कुमार ओबेरॉय’ हिन्दू खत्री परिवार में हुआ। भारत के विभाजन के बाद पिता आनंद सरूप ओबेरॉय व माता करतार देवी के साथ अमृतसर से होते हैदराबाद पहुंचे।

एक्टर सुरेश ओबेरॉय पढ़ाई से ज्यादा खेल में रुचि लेते थे। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया। सुरेश टेनिस और स्विमिंग के कई प्रतियोगिताओं में चैंपियन रहे हैं। सुरेश का बचपन कठिनाइयों में बीता। लेकिन उनका अभिनय से खास लगाव था जब वो हाई स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बावजूद उन्होंने अपने अभिनय के प्रति जुनून के चलते मुंबई की तरफ रुख कर लिया और फिल्मी दुनिया में आ गए।

 

सुरेश ने अपने करियर की शुरुआत रेडियो शो से की थी, उसके बाद मॉडलिंग की और फिर 1977 में ‘जीवन मुक्ति’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। मुख्य किरदार निभाने का मौका उन्हें फिल्म ‘एक बार फिर’ से वर्ष 1980 में मिला हालांकी बतौर मुख्य लीड उनकी यह फिल्म कुछ खास चली नहीं थी। इसके बाद उन्होंने कई अन्य फिल्मों जैसे ‘एक बार कहो’, ‘सुरक्षा’, ‘कर्तव्य’ जैसी फिल्में में सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर काम किया।

1980 में आई ‘एक बार फिर’ में उन्हें लीड रोल प्ले करने का मौका मिला। 1987 में आई ‘मिर्च मसाला’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्होंने फिल्मी दुनिया में अपने बेहतरीन अदाकारी से अपनी एक अलग पहचान बनाई। इसके अतिरिक्त मधुर व स्पष्ट स्वर के कारण ये कुछ एक कार्यक्रम व फिल्मों में कई बार सूत्रधार का भूमिका भी निभाई है, जिनमे अशोका (2001), ज़ी टीवी कार्यक्रम ‘जीना इसी का नाम है’ शामिल है।

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