बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना लीक से हटकर फिल्मों में अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ऐसी फिल्मों में एक्टिंग की है जिनके विषयों की मुख्यधारा में चर्चा नहीं की जाती है। हाल ही में उनकी नई फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी आई है’ जिसमें ट्रांस समुदाय द्वारा झेले जाने वाले भेदभाव और बहिष्कार को दिखाया गया है। उनका कहना है कि एलजीबीटीक्यू पात्रों वाली फिल्मों का निर्माण करना काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि ऐसी फिल्मों में उस समुदाय से कलाकारों को शामिल करना आसान नहीं है।
आयुष्मान ने कहा, अतीत में उनके अनुभवों से उन्हें महसूस हुआ है कि ऐसे कलाकार खुद को लेकर काफी संवेदनशील रहते हैं और उन्हें लगातार इस बात का डर होता है कि फिल्मों के जरिए उनकी एक खास छवि गढ़ दी जाएगी।
13 साल की उम्र में जाना ट्रांसजेंडर समूह को
आयुष्मान खुराना ने अपने एक इंटरव्यू में ट्रांस समुदाय के बारे में जागरूकता की कमी पर चर्चा की और खुलासा किया कि जब वह सिर्फ 13 साल के थे, तब उन्होंने पहली ट्रांस समुदाय को जाना और समझा।
उन्होंने कहा, मैं एक रूढ़िवादी परिवार से हूं, मेरे माता-पिता प्रगतिशील थे। 90 के दशक के मध्य में एक छात्रावास में दो लड़कियां थीं, जो मेरे पिता के पास आई थीं। उनमें से एक इस ऑपरेशन से गुजरना चाहती थी और लड़का बनना चाहता था।
कैसे की उनके पिता ने मदद
आयुष्मान खुराना ने कहा कि उनके पिता ने दंपति को एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाने का सुझाव दिया। लेकिन उस व्यक्ति ने उन्हें ‘प्रकृति के खिलाफ जाने’ के लिए मना कर दिया। अंत में आयुष्मान खुराना के पिता ने जोड़े को एक बड़े शहर में जाने का सुझाव दिया, जिसके बाद वे मुंबई गए और ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया। अब उनकी शादी को पिछले 20-25 साल हो गए हैं।
उन्होंने कहा, इसलिए जब मैं 13 साल का था, तब मुझे ट्रांस कम्युनिटी के बारे में पता था। यह मेरे लिए एक बहुत अच्छा इंडक्शन था। उन्होंने कहा, मेरे पिता को भी नहीं पता था कि ऑपरेशन होगा और वह सफल होगा। यह मेरे लिए पहली बार आंख खोलने जैसा था कि यह समुदाय मौजूद है और ऐसा सोचता है।