पनामा पेपर लीक्स मामला सामने आने के बाद भारत में कई दिग्गजों की नींद उड़ गई थी। जिनके भी नाम इसमे सामने आए उन सभी लोगों ने इसे झूठा करार देते हुए किसी भी विवाद या टैक्स चोरी के मामले से खुद को अलग रखा। लेकिन जब भारत सरकार ने जांच की तो पता चला कि जो भी नाम सामने आए हैं, वो हवा में हैं बल्कि उन नामों का टैक्स चोरी से कोई ना कोई संबंध जरुर है। जांच शुरु हुई तो ED ने ऐसे 500 लोगों की सूची तैयार की जिन पर टैक्स चोरी करने का संदेह था। इसी मामले में अब बच्चन परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय की दिल्ली के लोकनायक भवन में ED के सामने पेश होंगी। सूत्रों के मुताबिक ED के अधिकारियों ने सवालों की लिस्ट पहले से ही तैयार कर ली है। दरअसल पनामा पेपर्स मामले में भारत के करीब 500 लोगों के शामिल होने की बात सामने आई थी। इनमें नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, बिजनेसमैन हर वर्ग के प्रमुख लोगों के नाम हैं। इन लोगों पर टैक्स की हेराफेरी का आरोप है। जिसको लेकर टैक्स अथॉरिटी जांच में जुटी हैं।
एक महीने पहले अभिषेक बच्चन भी हो चुके है जांच में शामिल
पनामा पेपर्स मामले की लंबे समय से जांच चल रही है। ED के अधिकारी देश की कई बड़ी हस्तियों को जांच में शामिल कर चुके हैं। इसी कड़ी में एक महीने पहले अभिषेक बच्चन भी ED कार्यालय में पहुंचे थे। वे कुछ दस्तावेज भी ED अधिकारियों को सौंपे चुके हैं। ED सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मामले में उनके पिता अमिताभ बच्चन को भी ED नोटिस देकर बुलाने वाली है।
बच्चन परिवार का नाम क्यों?
साल 2016 में ब्रिटेन में पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स डॉक्युमेंट लीक हुए थे। इसमें दुनियाभर के बड़े नेताओं, कारोबारियों और बड़ी हस्तियों के नाम सामने आए थे। इसमें बच्चन परिवार का नाम भी शामिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ बच्चन को 4 कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इनमें से तीन बहामास में थीं, जबकि एक वर्जिन आइलैंड्स में थी। इन्हें 1993 में बनाया गया। इन कंपनियों की कैपिटल 5 हजार से 50 हजार डॉलर के बीच थी, लेकिन ये कंपनियां उन शिप्स का कारोबार कर रही थीं, जिनकी कीमत करोड़ों में थी।
ऐश्वर्या को पहले एक कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था। बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर डिक्लेयर कर दिया गया। कंपनी का नाम अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड था। इसका हेडक्वार्टर वर्जिन आइलैंड्स में था। ऐश्वर्या के अलावा पिता के. राय, मां वृंदा राय और भाई आदित्य राय भी कंपनी में उनके पार्टनर थे। यह कंपनी 2005 में बनाई गई। तीन साल बाद, यानी 2008, में कंपनी बंद हो गई थी।