एसडी बर्मन से लेकर मोहम्मद रफी तक हक के लिए भिड़ गई थीं लता, कई साल साथ नहीं किया काम

Deepak Pandey
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लता दीदी उसूलों की पक्की थी। वो अपने काम के आगे किसी को कुछ नहीं मानती । एक वहीं थी जिन्होंने अपने जमाने ने बड़े से बड़े प्रोड्यूसर और म्यूजिक डायरेक्टर से आंख मिलाकर कह दिया करती थीं. कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं । कई बार तो सिर्फ लता जी के कारण ही कई गानों की लाइनें बदल दी गई। लताजी को सिर्फ अपनी शर्तों पर ही काम करने की आदत थी। आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बताएंगे कि लता जी कई बार चीजें ठीक नहीं होने पर खुलकर विरोध किस तरह करती थीं। तो आईए जानते हैं लता जी के कुछ रोचक पहलूं।

एसडी बर्मन को कह दिया था ना

भारतीय म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री का वो नाम जिसकी तरह बनना हर किसी का सपना रहा है। त्र‍िपुरा राजघराने से ताल्‍लुक रखने वाले एसडी बर्मन साहब ने 1937 में शुरुआत तो बंगाली फिल्‍मों से की थी, लेकिन हिंदी फिल्‍मों में संगीत को उन्‍होंने नया मुकाम दिया। 100 से ज्‍यादा फिल्‍मों के म्‍यूजिक डायरेक्‍टर एसडी बर्मन साहब ने लता मंगेशकर से लेकर मोहम्‍मद रफी, किशोर कुमार से लेकर मुकेश तक हर किसी के करियर को सातवें आसमान पर पहुंचाया।SD Burman Untold Stories: Birthday Special: Untold Stories of Music music  maestro Sachin Dev Burman - Navbharat Times बर्मन साहब जितने बेहतरीन संगीतकार थे, उससे कहीं ज्‍यादा दिलचस्‍प इंसान थे। उनके बारे में ऐसे कई किस्‍से हैं, जो आज भी फिल्‍मी दुनिया की हर शाम को खुशनुमा बना देते हैं। एक बार एसडी बर्मन और लता ताई में जमकर बहस हुई।Lata Mangeshkar Stopped Singing for SD Burman – Blast from the Past - Masala

एक बार रेडियो इंटरव्यू में लता जी ने कहा, ‘उनकी अनबन 1958 की फिल्म ‘सितारों से आगे’ के एक गीत को लेकर हुई थी। मैंने ‘पग ठुमक चलत…’ गीत रिकॉर्ड किया तो पंचम दा बहुत खुश हुए और इसे ओके कर दिया। लेकिन बर्मन साहब परफेक्शनिस्ट थे। उन्होंने लता जी को फोन किया कि वो इस गीत की दोबारा रिकॉर्डिग करना चाहते हैं। लेकिन लता कहीं बाहर जा रही थी, इसलिए उन्होंने मना कर दिया। बर्मन साहब इस पर नाराज हो गए। LATA MANGESHKAR Ne 4 Saal SD BURMAN Se Kyon Nahin Ki Koi Baat? Kya Thi  Wajah? - YouTubeइसके बाद कई साल तक हम दोनों ने साथ में काम नहीं किया।’ लता ताई को बर्मन ने कॉल करके कहा कि अब वो उनसे गाने नहीं करवाएंगे, ये सुनते ही लता ताई ने तपाक से जवाब दिया कि वो खुद भी बर्मन के गाने नहीं गाएंगी। बाद में आरडी बर्मन ने लता ताई के लिए अपने पिता एसडी बर्मन को मनाया।

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रॉयल्टी के लिए मोहम्मद रफी से भिड़ी

लता ताई हमेशा से ही गायक-गायिकाओं के पक्ष में आवाज उठाती रही है। उन्होंने एक बार खुद के गाए गानों पर रॉयल्टी की बात की।लेकिन मोहम्मद रफी इस चीज के खिलाफ थे।लता के साथ किशोर कुमार, मुकेश साहब, मन्ना डे, तलत महमूद जैसे कई दिग्गज कलाकार थे। लता ने इस संबंध में मोहम्मद रफ़ी साहब से भी बात की क्योंकि वे प्रमुख पार्श्व गायक थे। रफ़ी साहब पैसे के मामले में फकीर किस्म के आदमी थे। उनका मतलब कला सेवा था। उन्होंने सोचा कि जब गायक ने गाना गाया और निर्माता ने उसका पारिश्रमिक दिया, तो उसका अब गाने पर कोई अधिकार नहीं।लता की बहन आशा के भी कुछ ऐसे ही विचार थे।
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गायकों की बैठक में लता-रफी आमने-सामने

इस मामले को लेकर गायकों की एक बड़ी बैठक हुई। जब बहस हुई तो रफी साहब जो कि बहुत ही सरल स्वभाव के थे, ने भी क्रोधित होकर कहा कि आज के बाद वे लता के साथ गाने नहीं जाएंगे। लता का क्रोध तीव्र था। वो भी बोल पड़ी, “तुम क्या नहीं गाओगे, आज से मैं तुम्हारे साथ कोई गीत नहीं गाऊंगी। ” इसके बाद लता ने सभी संगीतकारों को बुलाया और रफ़ी के साथ कोई भी युगल गीत करने से साफ इनकार कर दिया।1963 से 1967 तक यानी 4 साल तक लता और रफी ने एक साथ एक भी गाना नहीं गाया।Mohd Rafi's son wants apology from Lata Mangeshkar in 10 days लता मंगेशकर के मुताबिक संगीतकार जयकिशन के कहने पर रफी साहब ने पत्र लिखकर लता से माफी मांगते हुए मामला खत्म करने को कहा। फिर 1967 में संगीतकार एसडी बर्मन के लिए एक संगीत समारोह का आयोजन किया गया। दादा बर्मन ने दोनों को एक साथ गाने के लिए मंच पर भेजा। दोनों ने दादा बर्मन की सुपरहिट फिल्म ज्वेल थीफ का सुपरहिट गाना ‘दिल पुकारे आ रे आ रे’ गाते हुए प्रवेश किया, जो उस साल रिलीज हुई थी और इस तरह लता और रफी की रॉयल्टी की लड़ाई के साथ समाप्त हुई। वैसे अब सिंगर और लिरिक्स राइटर दोनों को रॉयल्टी मिलती है।

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