भारतीय फ़िल्मों में हीरों के साथ-साथ खलनायकों को भी ख़ास तरीक़े से दिखाने का चलन रहा है। यही वजह है कि पुरानी बॉलीवुड फ़िल्मों के कई विलेन अपने ख़ास अंदाज़ के लिए आज भी जाने जाते हैं । वहीं,अगर बॉलीवुड फ़िल्मों के पुराने खलनायकों की बात हो, तो एक नाम के बगैर ये सूची अधूरी ही लगेगी। वो नाम है ‘जीवन’ । जी हां, 60-70 के दशक की बॉलीवुड फ़िल्मों के खलनायकों में ये नाम शीर्ष पर था।अपनी अदाकारी के दम पर इस एक्टर ने अपना नाम बॉलीवुड फ़िल्मों के इतिहास में दर्ज कराया। आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं ‘जीवन’ के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें ।
असली नाम था ओंकार नाथ
बहुतों को जीवन का असली नाम नहीं पता होगा। उनका असली नाम है ओंकार नाथधर। जीवन उनका स्टेज़ नाम था।जीवन का जन्म 24 अक्टूबर में श्रीनगर (कश्मीर) में हुआ था। कहते हैं उनका परिवार काफ़ी बड़ा था। उनके पिता गिलगित के गवर्नर थे और उनके 23 भाई-बहन थे. वहीं, कहा जाता है कि उनके जन्म के समय उनकी मां का देहांत हो गया था ।वहीं, तीन साल में उन्होंने अपनी पिता को भी खो दिया था।
घर से भागकर आए थे मुंबई
मीडिया की मानें, तो फ़ोटोग्राफ़र बनने की चाह में वो कश्मीर से मुंबई भागकर आ गए थे ।उनकी जेब में मात्र 26 रुपए थे। वो फ़ोटोग्राफ़ी में कुछ अच्छा करना चाहते थे, ताकि कश्मीर जाकर एक फ़ोटो स्टूडियो खोल सकें। शुरुआती वक़्त में उन्हें छोटे-मोटे काम करने पड़े।फ़िल्म डायरेक्टर मोहन सिन्हा के स्टूडियों में उन्हें रिफ़्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का काम मिला था। ये उनका पहला काम था । वहीं, मोहन सिंहा की डायरेक्टेड फ़िल्म फैशनेबल इंडिया में उन्हें चंद लाइन्स का रोल ऑफ़र हुआ । इस तरह उनकी फ़िल्मी करियर की शुरुआत हुई।
हीरो नहीं बन पाए
जीवन का चेहरा हीरों के लिए नहीं है । इसलिए उन्होंने खलनायकी में हाथ आजमाया । उन्होंने कई फ़िल्मों में बतौर विलेन के रूप में काम किया और बॉलीवुड के लोकप्रिय विलेन में शामिल हो गए । उन्होंने अमर अकबर एन्थोनी, क़ानून, प्रोफ़ेसर प्यारेलाल, मेला, धर्म-वीर,अफ़साना, स्टेशन मास्टर आदी उनकी यादगार फ़िल्में हैं । वहीं, उन्हें जीवन नाम फ़िल्म निर्माता ‘विजय भट्ट’ ने दिया था ।