Jagjit Singh की तारीफ के लिए कुछ भी लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसी बात होगी. वह गजलों की दुनिया के इतने बड़े सितारे थे कि उनके फैन्स देश ही नहीं विदेशों में भी थे. जगजीत सिंह की गजलें आज भी उतनी ही पसंद की जाती हैं. कोई ऐसा हुआ ही नहीं जो उनसे आगे बढ़ा हो.
आज भी अलग-अलग मंचों पर लोग उनकी गजलों की फरमाइश करते हैं लेकिन उनके अंदाज को मिस करते हैं. वह जादू तो उन्हीं के साथ चला गया. आज यानी कि 8 फरवरी को उनका जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए हैं बता दें कि जगजीत के पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे.
पिता चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बने
राजस्थान के गंगानगर में पले-बढ़े जगजीत को उनके पिता उन्हें इंजीनियर या आइएएस बनाना चाहते थे. जगजीत को इंजीनियरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन पिताजी का मन रखने के लिए वह पढ़ाई के लिए जालंधर यूनवर्सिटी पहुंच गए. उनके हॉस्टल के कमरे में किताबों से संगीत के साज रखे होते थे.
वह अपने कॉलेज के हर फेस्टिवल में गाते थे. वह जालंधर रेडियो के लिए भी गाया करते थे. इस तरह के मौके मिलने के बाद उन्होंने संगीत की बाकायदा तालीम लेनी शुरू की थी लेकिन वह जानते थे कि उनके पिताजी को यह बात अच्छी नहीं लगेगी कि बेटा पढ़ाई छोड़ कर गवैया बनने की तैयारी कर रह रहा है.
संगीत का शौक लेकर गया मुंबई
कॉलेज के बाद जगजीत को लगा कि अगर वह घर पहुंच गए तो सिंगर बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा इसलिए उन्होंने मुंबई का रुख किया. शुरू में बहुत पापड़ बेले. मुफ्त में खाने के लिए रात को होटलों में गाना गाने लगे. मेहनत का पहिया घूमता रहा और एक दिन उन्हें विज्ञापन फिल्म में जिंगल गाने का मौका मिला. यहां से गाड़ी ट्रैक पर आनी शुरू हो गई.
हीरो बनते-बनते रह गए गजल सम्राट
जगजीत अकसर पार्टियों में गजलें और गाने गाया करते थे. उस वक्त अजीज मर्चेंट गुजराती फिल्मों में संगीतकार थे. दोनों की मुलाकात अक्सर हुआ करती थी. एक बार अजीज ने जगजीत से कहा कि उनके पास जगजीत के लिए फिल्मों में दिलचस्प काम है. इसके बदले में पैसे भी अच्छे मिलेंगे. तय हुआ कि वह जगजीत को एक फिल्म के निर्माता से मिलाने ले चलेंगे. जगजीत बहुत खुश हो गए कि उन्हें फिल्मों में गाने का मौका मिलने वाला है.
जब वे निर्माता से मिले तो पता चला कि वह उन्हें गुजराती फिल्मों में हीरो का काम देना चाहते थे. जगजीत की कद काठी अच्छी थी, आवाज भी अच्छी थी और मर्चेंट को नए हीरो की तलाश थी लेकिन जगजीत नहीं माने उन्होंने कहा कि वह इस काम के लिए बिलकुल सही नहीं हैं. वे फिल्मों में सिर्फ गाने गा सकते हैं. जगजीत के कहने पर उनसे उस गुजराती फिल्म में भजन गवा लिया गया.