भारत में कदम-कदम पर पुरानी मान्याताओं के प्रतीक देखने को मिलते हैं। राम और रावण का अस्तित्व भारत में माना गया है। आपको बता दें कि रावण भगवान भोलेनाथ का अनन्य भक्त था। उसने अपने 10 सिर प्रभु को अर्पण कर दिए थे। आज हम आपको ऐसे मंदिर के दर्शन कराएंगे जहां पर भगवान भोलेनाथ को रावण ने पहला सिर अर्पण किया था। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना रावण के पिता विश्वेश्वर ने की थी और रावण ने भी यहां भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर अपना पहला सिर यही अर्पित किया था। ये मंदिर है उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में। यहां दिन निकलते ही भक्तों की इतनी लंबी कतार लग गई कि गौशाला रोड पर करीब 1 किलोमीटर तक भक्तों की लंबी कतार दिखाई दी और हर कोई भक्त भोलेनाथ के जयकारे को लगाता हुआ और अपनी बारी का इंतजार करता हुआ दिखाई दिया।
रावण के पिता विश्वेश्वर ने की थी स्थापना
बताया जाता है कि गाजियाबाद का यह प्राचीन प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर की स्थापना रावण के पिता विश्वेश्वर ने की थी और रावण ने भी यहां पर भोले की आराधना करने के बाद उन्हें प्रसन्न किया था।आज भी जो श्रद्धालु मनोकामना लेकर पहुंचता है, भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। बताया यह भी जाता है कि देश के प्रमुख 8 मठ में से यह प्रसिद्ध मंदिर का मठ भी गिना जाता है।
पहली पहर से ही होने लगता है अभिषेक
गाजियाबाद के इस प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में देर रात से ही भक्तों की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई और 12:00 बजे से जलाभिषेक शुरू हो गया हालांकि अभी भक्त त्रयोदशी का जल चढ़ा रहे हैं।अभी कुछ समय बाद भी चौदस मुहूर्त शुरू हो जाएगा लेकिन भक्त अपनी मनोकामना लेकर देर रात से ही लंबी कतार में खड़े हुए हैं। बताते चलें कि यह प्रसिद्ध मंदिर गौशाला रोड पर स्थित है 2 दिन पहले से ही इस सड़क को पूरी तरह से वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। क्योंकि मंदिर के अंदर से ही बाहर करीब 1 किलोमीटर तक भक्तों की लंबी कतार लग जाती है।
मंदिर के महंत श्री नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि पिछले 2 साल से कोरोना के कारण मंदिर में शिव भक्तों को अधिक संख्या में एकत्र होने की अनुमति नहीं थी। लेकिन इस बार कोरोना से कुछ राहत मिली है तो भक्तों की भीड़ इस बार दिखाई दी है और सभी शिव भक्तों में आशा उत्साह दिखाई दे रहा है।