बेहतरीन कॉमेडी के लिए आज भी उत्पल दत्त को बॉलीवुड में याद किया जाता है। भारत की सबसे बड़ी थिएटर हस्तियों में से एक, उत्पल दत्त एक जागरूक क्रांतिकारी नाटककार,अभिनेता और थिएटर निर्देशक थे। उन्होंने अपने हर किरदार को बड़ी सहजता से निभाया, चाहे फिर वो विलेन का हो या कोई कॉमेडी रोल।
29 मार्च 1929 को जन्में उत्पल साहब ने बॉलीवुड में कई आइकॉनिक किरदार निभाए, जिन्हें भूल पाना नामुमकिन लगता है। उनकी कई मजेदार फिल्मों ने लोगों को खूब हंसाया। कॉमेडी फिल्मों के किंग कहे जाने वाले उत्पल दत्त की 92वीं जयंती पर हम आपको उनकी बेस्ट कॉमेडी फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गोलमाल (1979)
साल 1979 में आई फिल्म ‘गोलमाल’ में उत्पल दत्त द्वारा निभाया गया किरदार निस्संदेह हिंदी सिनेमा में उनका सबसे पसंदीदा किरदार है। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दत्त साहब ने एक भवानी शंकर की भूमिका निभाई थी, जो अपने गुस्से और मूंछों के लिए जाना जाता था। इस किरदार के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता था।
नरम गरम (1981)
ऋषिकेश मुखर्जी की इस फिल्म में उन्होंने एक बूढ़े जमींदार के किरदार को पर्दे पर उतारा था। उत्पल साहब ने इसमें अपनी कॉमिक टाइमिंग से लोगों को खूब हंसाया और इसके लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किया था।
शौकीन (1982)
1982 में आई बासु चटर्जी की फिल्म ‘शौकीन’ बेहतरीन कॉमिडी फिल्मों में से एक मानी जाती है। फिल्म की कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ट्रिप पर जाते हैं और वहां रति अग्निहोत्री से उन तीनों को प्यार हो जाता है। बासु चटर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उत्पल ने एक मध्यम आयु वर्ग के रूढ़िवादी व्यक्ति की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में वह एक-एक पैसे का हिसाब रखने वाले कंजूस इंसान का किरदार निभाते नजर आए थे।
किसी से न कहना (1983)
किसी से न कहना में उत्पल दत्त ने एक ऐसे पिता का रोल निभाया, जिसे लगता है कि शिक्षा ने देश की महिलाओं को बर्बाद कर दिया है। इसलिए वह अपने बेटे के लिए अनपढ़ बहू ढूंढने निकल जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश, उनके बेटे को एक डॉक्टर से प्यार हो जाता है। उत्पल के इस किरदार को भूल पाना थोड़ा मुश्किल है।
अंगूर (1982)
1982 में आई इस कॉमेडी फिल्म में संजीव कुमार और देवेन वर्मा डबल रोल में थे और उत्पल दत्त उनके पिता के रोल में थे। विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘ए कॉमेडी ऑफ एरर्स’ से प्रेरित, अंगूर एक जैसे जुड़वा बच्चों की कहानी को दिखाती है जो कम उम्र में अलग हो जाते हैं। लेकिन कई वर्षों बाद चारों एक-दूसरे से टकरा जाते हैं।