फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ हिंदी सिनेमा के चार्मिंग हीरो रहे ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म है। इस फिल्म की मेकिंग के दौरान ही ऋषि कपूर का निधन हो गया और बाद में उनका किरदार अभिनेता परेश राव ने पूरा किया है। फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है।
इस हफ्ते रिलीज हो रही या हो चुकी फिल्मों और वेब सीरीज में फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ का अलग ही स्थान है। इस फिल्म से हिंदी सिनेमा के दर्शकों का जो भावनात्मक रिश्ता बन रहा है, वह शायद वेब सीरीज ‘मून नाइट’, हिंदी फिल्म ‘अटैक पार्ट वन’ और हॉलीवुड फिल्म ‘मॉर्बियस’ से न बन पाए। तो चलिए पढ़ते है रिव्यू फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ का।
ऋषि कपूर ने हिंदी सिनेमा को इतराना सिखाया है। उनकी फिल्मों का अपना एक अलग आभा मंडल रहा है। उनकी मुस्कान के करोड़ों लोग दीवाने रहे हैं। ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ उनके चाहने वालों के सामने हैं। फिल्म देखते समय आपको ऋषि कपूर की पिछली फिल्मों ‘राजमा चावल’ और ‘दो दूनी चार’ की याद आती रहती है, लेकिन ये फिल्म ऋषि कपूर के कैमरे के सामने आखिरी अभिनय के लिए तो देखनी ही चाहिए, इसे देखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फिल्म में अभिनेता परेश रावल ने जो ऊष्मा भरी है, वह काबिले तारीफ है।
जिंदगी तीखी नहीं नमकीन होनी चाहिए
फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ कहानी है एक ऐसे सेवानिवृत्त इंसान की जो अब भी खुद को रिटायर नहीं मानता। उसका जिंदगी जीने का अपना एक स्वाद है। वह सादी दाल जैसी जिंदगी नहीं जीना चाहता। घर वाले उसकी सुने ना सुने, वह अपनी धुन का तड़का है। दोस्त सलाह देते हैं। वह इरादे बांधता है। देश में जैसे जैसे बुजुर्गों की संख्या में इजाफा हो रहा है, इस तरह की कहानियां बननी बहुत जरूरी हो चली हैं, जिनमें 60 के ऊपर हो चले लोगों को परिवार पर बोझ न माना जाए।
ऋषि कपूर ने यहां अपनी अमिताभ बच्चन के साथ बनी फिल्म ‘102 नॉट आउट’ के ठीक विपरीत सुर पकड़ा है। शर्मा जी किटी पार्टियों के लिए खाना बनाने का बीड़ा उठाते हैं। अपनी नीरस हो रही जिंदगी को खुद ही नमकीन कर जाते हैं। फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ कहानी है जिंदगी को एक नजरिया देने की और तारीफ इस कहानी की इसलिए भी करनी जरूरी है कि ये हिंदी फिल्मों की आम फिल्मों से अलग है और ये हौसला जुटाया है पहली बार फिल्म निर्देशन में उतरे हितेश भाटिया ने।