एक वकील ने रखी थी गोदरेज कंपनी की नींव, अंग्रेजों से भिड़कर शुरू किया था मेड इन इंडिया ब्रांड

Shilpi Soni
8 Min Read

भारत में गोदरेज ब्रांड (Godrej Brand) की अपनी एक अलग पहचान है जिसकी अलमारी, तिरोजी और ताले लगभग हर घर में देखने को मिल जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत के इस मशहूर ब्रांड की शुरुआत कैसे हुई थी और इसे शुरू करने वाले शख्स कौन थे।

अगर आप भी इन सवालों के जवाब नहीं जानते हैं, तो हम आपको बता दें कि गोदरेज कंपनी की शुरुआत वकालत की पढ़ाई कर रहे शख्स आर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej) ने की थी। जिस वक्त उन्होंने गोदरेज की शुरुआत की थी, उस दौर में चोरी और लूटपाट की घटनाएं बहुत ज्यादा होती थी और इन्हीं घटनाओं की वजह से गोदरेज कंपनी की नींव रखी गई थी।

आर्देशिर गोदरेज का जीवन परिचय

Ardeshir Godrej

आर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej) का जन्म 26 मार्च 1868 को गुजरात के भरूच शहर में एक पारसी परिवार में हुआ था, जिन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत की पढ़ाई करने का फैसला किया था। आर्देशिर गोदरेज महात्मा गांधी के सिद्धांतों से काफी ज्यादा प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने वकालत करते हुए कभी झूठ का साथ न देने का फैसला किया था।

ऐसे में आर्देशिर गोदरेज वकालत की पढ़ाई करने के लिए ईस्ट अफ्रीका चले गए, लेकिन उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि वकालत के पेशे में सच्चाई के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है। इसलिए आर्देशिर गोदरेज ने वकालत की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और साल 1894 में वापस भारत लौट आई, जहां उन्होंने बंबई (मुंबई) से अपने जीवन की नई शुरुआत करने का फैसला किया था।

पहला बिजनेस हो गया था फेल

Success Story of Godrej and | गोदरेज कंपनी की सफलता की कहानी

बंबई आज की तरह उस समय भी भारत का एक महंगा शहर हुआ करता था, इसलिए वहां आजीविका चलाने के लिए काम करना जरूरी था। ऐसे में आर्देशिर गोदरेज ने एक फार्मा कंपनी में केमिस्ट असिस्टेंट के रूप में नौकरी शुरू कर दी, लेकिन नौकरी में उनका मन नहीं लगा और उन्होंने अपना बिजनेस करना फैसला किया।

आर्देशिर गोदरेज ने अस्पताल में सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाले ब्लेड और कैंची बनाने का काम शुरू कर दिया लेकिन आर्देशिर का पहला बिजनेस अंग्रेजों की एक मामूली सी शर्त की वजह से चल नहीं पाया और ठप्प हो गया।

दरअसल आर्देशिर गोदरेज चाहते थे कि उनके द्वारा बनाए गए ब्लेड और कैंची पर ‘मेड इन इंडिया’ का टैग लगाया जाए, लेकिन ब्रिटिश शासक इस बात के लिए तैयार नहीं थे। उनका मानना था कि प्रोडक्ट पर मेड इन इंडिया लिखने से उसकी मार्केट वैल्यू गिर जाएगी, जिसकी वजह से प्रोडक्ट की बिक्री नहीं होगी और अंग्रेजों का मुनाफा कमाने का मौका नहीं मिलेगा।

ऐसे में आर्देशिर गोदरेज ने ब्रिटिश सरकार की शर्त नहीं मानी, जिसकी वजह से उनके बिजनेस को बंद करवा दिया गया था। हालांकि आर्देशिर ने हालातों के आगे हार नहीं मानी और एक नया बिजनेस आइडिया तलाशने लगे।

ताला-चाबी बनाने से हुई थी गोदरेज की शुरुआत

Success Story of Godrej

इसी दौरान आर्देशिर को न्यूज पेपर पढ़ते हुए नया बिजनेस आइडिया मिल गया, जिसमें बंबई में चोरी और लूटपाट की घटनाओं के बढ़ने का जिक्र किया गया था। ऐसे में आर्देशिर गोदरेज ने सोचा कि क्यों न ऐसे ताला चाबी का निर्माण किया जाए, जिन्हें तोड़ना या दूसरी चाबी की मदद से खोल पाना नामुमकिन हो।

इस तरह आर्देशिर गोदरे फिर नए बिजनेस को शुरू करने के लिए एक शक्श से कुछ पैसे उधार लिए और उसके बाद आर्देशिर गोदरेज ने  एक गोदाम किराए पर लिया, जो 125 वर्ग फीट के एरिया में फैला हुआ था। उस गोदाम में आर्देशिर ने ताला चाबी बनाने का काम शुरू किया और कुछ वर्कर्स को नौकरी पर रखा, इस तरह एक गोदाम में गोदरेज कंपनी की नींव रखी गई थी।

देश को दिए मजबूत अलमारी और लॉकर

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इस तरह आर्देशिर गोदरेज ने महज ताला चाबी बेचकर ही देश में एक मजबूत ब्रांड की शुरुआत कर दी थी लेकिन आर्देशिर यहीं नहीं रूके, बल्कि उन्होंने ताले चाबी के साथ मजबूत अलमारी और लॉकर बनाने का भी काम शुरू कर दिया था।

दरअसल उस दौर में बंबई के गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के पास पैसे और जेवर रखने के लिए कोई मजबूत लॉकर या अलमारी नहीं होती थी, जिसकी वजह से कीमती चीजों के चोरी हो जाने का डर बना रहता था। ऐसे में आर्देशिर ने मजबूत अलमारी और लॉकर बनाने का फैसला किया।

इस काम के लिए आर्देशिर गोदरेज ने कुछ इंजीनियर्स और कारीगरों की मदद ली थी, जिन्होंने महीनों तक प्रयोग करने के बाद एक मजबूत और शानदार अलमारी बनाने में सफलता हासिल की थी। इस तरह साल 1902 में गोदरेज कंपनी की अलमारी बाजार में आई थी, जो देखते ही देखते हर घर की शान बन गई और गोदरेज कंपनी सफलता के सातवें आसमान पर पहुंच गई थी।

Indian Firm Made First Cruelty-Free Soap, Got Tagore to Model For It

इसके बाद गोदरेज ने साल 1918 में पहला वनस्पति तेल वाला साबुन तैयार किया था, जबकि साल 1923 में अन्य फर्नीचर प्रोडक्ट्स बनाने शुरू कर दिए थे। वहीं साल 1951 में पहले लोकसभा चुनाव के दौरान गोदरेज कंपनी ने 17 लाख बैलेट बॉक्स तैयार किए थे, जबकि साल 1952 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नहाने के लिए सिंथॉल साबुन लॉन्च किया था।

इसके बाद गोदरेज नेसाल 1958 में रेफ्रिजरेट बनाने की शुरुआत की थी, जो भारत की पहली फ्रिज बनाने वाली कंपनी थी। इसके बाद साल 1974 में गोदरेज ने लिक्विड हेयर कलर प्रोडक्टस बाजार में उतारे थे, जिनसे सफेद बालों को आसानी से काला या भूरा किया जा सकता था।

वहीं 1990 के दशक में गोदरेज ने रियल एस्टेट के बिजनेस में कदम रखा था, जबकि साल 1991 में इस कंपनी ने खेती से जुड़े कारोबार की शुरुआत की थी। साल 1994 में गोदरेज ने गुड नाइट ब्रांड बनाने वाली कंपनी ट्रांस्लेक्टा को खरीद लिया था, जबकि साल 2008 में इस कंपनी ने चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और ल्यूनर ऑर्बिटर तैयार किए थे।

इस तरह गोदरेज कंपनी ने साल दर साल नए क्षेत्रों में बिजनेस को बढ़ाते हुए प्रोडक्ट्स का निर्माण किया, जिनकी हमेशा बाजार में मांग बढ़ती रही है। वर्तमान में यह ब्रांड भारत समेत 50 अन्य देशों में भी व्यापार कर रहा है, जिसका मार्केट कैपिटलाइजेशन तकरीबन 1.2 लाख करोड़ रुपए के आसपास है।

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