शहर छोड़कर गांव में बना लिया इको फ्रेंडली घर जो भरी गर्मी में भी देता है ठंडक….

Mahaveer Nagar
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आजकल के लोग गांव की हरियाली छोड़ शहर के चहक-महक की गलियों में घूमना पसंद करते है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो शहर की लाखों की आर्टिफिशियल ब्यूटी छोड़ गांव की प्रकृति का आनंद लेना पसंद करते है। आज हम एक ऐसे ही इंसान की बात करेंगे, जिन्होंने शहर की भाग-दौड़ की जिन्दगी छोड़ गांव में शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहे है।

रामचंद्रन नाम के एक व्यक्ति शहर की ऐसो आराम की जिन्दगी छोड शहर से 25 किमी दूरी पर एक गांव में अपना घर बनवाया। उस घर को इन्होंने पेड़-पौधों से सजाया और आज प्रकृति के गोद मे आनन्द भरी जिंदगी जी रहे हैं। इन्होंने अपने घर के गार्डन में करीबन 800 पेड़-पौधे लगवाए है। घर मे बिजली और पानी का बिल एकदम जीरो आता है।

रामचंद्रन ने अपना घर बनाने के लिए घर की जमीन से ही निकली मिट्टी से सीएसईबी’ ब्लॉक्स का इस्तेमाल किया है। मिट्टी की जाँच के लिए उन्होंने सबसे पहले नमूने को लैब में भेजा। लैब में परीक्षण के बाद उनको पता चला कि इस मिट्टी का इस्तेमाल हम नौ प्रतिशत सीमेंट मिलाकर, इसे ब्लॉक्स बनाने में भी कर सकते है। इस मिट्टी से उन्होंने घर बनाने के लिए लगभग 23 हजार सीएसईबी ब्लॉक का निर्माण करवाया।

 

उन्होंने बताया कि, ‘रीसाइकल्ड’ मटेरियल का इस्तेमाल उन्होंने अपने घर मे किया है। उनके घर के फर्श में ‘हैंडमेड टाइल’ का इस्तेमाल किया गया है और इसको सेट करने के लिए चुने का उपयोग किया है तथा उन्होंने टाइल के जगह पत्थरों से बने छोटे-छोटे टुकड़ों को बाथरूम और टॉयलेट में थोड़ी-बहुत डिजाइनिंग के लिए इस्तेमाल किया है। घर को बनाते समय उन्होंने खास इस बात का ध्यान रखा है कि घर में प्राकृतिक रौशनी ज्यादा से ज्यादा आये तथा घर प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित रहे।

प्रकृति से लगाव होने के कारण उन्होंने अपने घर के आस-पास छायादार वृक्ष लगवाए I जब उन्होंने घर बनाना शुरू किया उसी समय से वो पेड़-पौधे भी लगाना शुरू कर दिए थे। उन्होंने बताया कि, लगभग 500 पौधे इन्होंने लगाया है और बाकी 300 खुद से उपजे है। अगर कोई भी पौधा खुद से उपजता है तो इन्होंने उसे आज तक नही काटा, क्योंकि इनको हमेशा से प्रकृति से ज्यादा लगाव है।

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