हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ के किरदार से लेकर उसके गाने तक, सब कुछ आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है. फिल्म में सांभा का किरदार भला कौन भूल सकता है. सांभा का किरदार निभाने वाले एक्टर मैकमोहन को आज भी लोग उनके इस रोल की वजह से जानते हैं. आज मैकमोहन को गुजरे हुए भी जमाना हो गया पर लोगों के दिलों में सांभा वाली तस्वीर आज भी बसी हुई है.
मैकमोहन का जन्म 24 अप्रैल 1938 को कराची में हुआ था और 10 मई 2010 को बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था. रिश्ते में वो रिश्ते में एक्ट्रेस रवीना टंडन के मामा थे. मैकमोहन को बचपन से क्रिकेट का शौक था और वो क्रिकेटर बनना चाहते थे. मैकमोहन ने तो उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के लिए भी खेला था. फिर एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने तय कर लिया कि अब उन्हें क्रिकेटर बनना ही है. उन दिनों क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग सिर्फ मुंबई में दी जाती थी, जिसके बाद वो साल 1952 में मुंबई आ गए लेकिन मुंबई आने के बाद उनकी रूचि क्रिकेट से हटकर एक्टिंग में हो गई.
मशहूर गीतकार की पत्नी शौकत कैफी के एक नाटक से मैक के एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई थी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1964 में उन्होंने फिल्म हकीकत से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. 46 साल के अपने करियर में मैक ने करीब 175 फिल्मों में काम किया पर उनका जो किरदार सबसे मशहूर हुआ वो फिल्म शोले का सांभा था.
फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, अमजद खान और संजीव कुमार जैसे बड़े नाम थे लेकिन अपने छोटे से किरदार से मैकमोहन ने हमेशा के लिए अपनी पहचान बना ली. फिल्म को लेकर एक किस्सा बड़ा मशहूर है. कम लोग जानते हैं कि सांभा के तीन शब्दों को डायलॉग को शूट करने के लिए मैक लगभग 27 बार मुंबई से बेंगलुरु गए थे.डॉन, कर्ज, सत्ते पे सत्ता, जंजीर, रफूचक्कर, शान, खून पसीना जैसी कई फिल्मों में मैक ने शानदार काम किया था.
मैक अपनी आखिरी फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे की शूटिंग के दौरान बीमार पड़ गए. उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके फेफड़े में ट्यूमर है. इसके बाद उनका लंबा इलाज चला लेकिन उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई. एक साल बाद ही 10 मई 2010 को मैकमोहन ने दुनिया को अलविदा कह दिया.