बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलते है। कई बार अपने समय में सुपरस्टार रहे एक्टर्स ऐसे धराशाई हो जाते हैं कि आखिरी समय में उन्हें दाने-दाने को मोहताज होना पड़ता है। ऐसा ही कुछ एक मशहूर अभिनेत्री के साथ हुआ था। अपने जमाने में बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में रहीं विमी का अंत बेहद दर्दनाक हुआ था। एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में देने वाली अभिनेत्री विमी अपनी सफलता को ज्यादा समय तक पचा नहीं पाईं। विमी को बचपन से ही फिल्मों में जाने का शौक था। वहीं परिवार वालों ने पढ़ाई खत्म होने के तुरंत बाद उनकी शादी कोलकाता के मशहूर व्यापारी शिव अग्रवाल के साथ करा दी थी।
शादी के बाद विमी ने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। बॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘हमराज’ के लिए उन्हें कास्ट किया गया। पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और विमी रातों रात एक बड़ी स्टार बन गईं। वैसे विमी पैसे वाले घर से थीं। वह सिर्फ अपना शौक पूरा करने के लिए फिल्मों में आई थीं। फिल्मों में काम करने के दौरान ही उन्होंने मुंबई में एक आलीशान घर खरीदा। इसके अलावा उनके पास कई मंहगी गाड़ियां भी थीं।
विमी कुल 10 फिल्मों में नजर आईं, जिनमें से ज्यादातर फिल्में फ्लॉप हो रही थीं। पहली फिल्म के बाद उन्हें कई ऑफर मिले थे, लेकिन चंद फ्लॉप फिल्मों के बाद ही प्रोड्यूसर्स ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। फिल्में मिलना बंद होने लगीं और देखते-ही-देखते सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। फिल्मों से निराशा मिली तो विमी ने कलकत्ता में विमी टेक्सटाइल कंपनी खोली, लेकिन ये भी कर्जे में डूब गई।
जब विमी की फिल्में नहीं चलीं तो उनकी पर्सनल लाइफ में भी परेशानियां आने लगी। पति शिव उनसे मारपीट करने लगे। बाद में दोनों अलग हो गए और विमी डिप्रेशन में चली गईं। विमी को फिल्मों के ऑफर आना बिलकुल बंद हो गए थे। इसके बाद वो शराब में डूबी रहने लगीं। जिसके चलते उनका लीवर खराब हो गया। महज 34 साल की उम्र में विमी का लिवर पूरी तरह खराब हो चुका था। बीमारी का इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं थे। जैसे-तैसे जॉली ने ही इन्हें मुंबई के नानावटी अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भर्ती करवाया। जहां 22 अगस्त 1977 को विमी की मौत हो गई। अस्पताल में भर्ती विमी की किसी भी परिवार वाले या दोस्त ने खबर नहीं ली।
आखिरी समय में विमी के पास पैसों की तंगी इस कदर बढ़ गई थी, कि वो दाने दाने को मोहताज रहने लगी थी। यहां तक कि जब उनकी मौत हुई तो उन्हें कंधा देने वाला तक कोई नहीं था। लोग बताते हैं कि उनकी मौत के बाद उनके शरीर को ठेले पर ले जाना पड़ा था। क्योंकि उनके पास इतना भी पैसा नहीं था कि उनकी शव यात्रा निकली जा सके।