करीब दो महीने पहले प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों के घर से टमाटर एक और दो रुपए किलो बिक रहा था. येवला में एक किसान ने तो परेशान होकर सड़क पर टमाटर फेंक कर अपने गुस्से का इजहार किया था. बाजार में 30 रुपये तक का रेट था, लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हुआ की टमाटर 80 रुपये किलो पर पहुंच गया. देश के कई क्षेत्रों में कहीं यह सेब के दाम के बराबर तो कहीं ज्यादा में बिक रहा है.मार्केट के जानकारों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आवक कम हो गई है.
ऐसे में सवाल उठता है की मांग और आपूर्ति में इतना अंतर आया क्यों? दरअसल महाराष्ट्र प्रमुख टमाटर उत्पादकों में से एक है. इसके बड़े हिस्से में पिछले महीने बाढ़ और अतिवृष्टि ने तबाही मचा दी थी. जिससे सब्जियों की खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. नतीजा यह है कि टमाटर की हैसियत बढ़ गई है.
टमाटर और प्याज की खेती
महाराष्ट्र में टमाटर और प्याज़ की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. लेकिन इन दिनों महाराष्ट्र में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. मुंबई समेत राज्य के सभी हिस्सों में अब टमाटर 70 से 80 रुपये किलो बिक रहा है.प्याज के दाम भी तेजी है. पिंपलगांव मंडी में प्याज का थोक दाम 40 रुपये किलो से अधिक हो गया है. टमाटर और प्याज के भाव में इस तेजी का मुख्य कारण महाराष्ट्र में बाढ़ और अति बारिश को माना जा रहा हैं. इसके चलते टमाटर की आपूर्ति मांग के मुताबिक नहीं हो पा रही है.
कब तक सामान्य होंगे रेट?
महाराष्ट्र के किसानों और व्यापारियों का कहना है कि टमाटर और प्याज के बढ़े हुए दाम दिसंबर तक सामान्य हो जाएंगे. कीमतों में 15 नवंबर तक उतार-चढ़ाव हो सकता है.ऑल इंडिया वेजिटेबल ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीराम गाडगिल ने बताया कि बारिश और बाढ़ के असर से इन दिनों सभी सब्जियों के भाव तेज हैं. टमाटर की फसल 80 प्रतिशत खराब हो गई हसि. जिसके चलते अब उत्पादन में कमी हो गई है. इसके बावजूद किसानों को उनकी लागत नहीं मिल पा रही है. क्योंकि उत्पादन 80 प्रतिशत नीचे आ गया. गाडगिल के मुताबिक नवंबर दिसंबर तक दाम में कुछ कमी आने की संभावना है. क्योंकि तब तक कुछ और जगहों का भी टमाटर आने लगेगा.