राजस्थान ‘द पिंक सिटी’ के छह हजार महिलाओं ने सामूहिक घूमर नृत्य कर ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में नाम दर्ज कराया

Shilpi Soni
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राजस्थान, एक ऐसी भूमि जहां रॉयल्टी जीने का तरीका है। यह एक ऐसी भूमि है जहाँ रंग खालीपन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां उत्सव की कोई सीमा नहीं होती और सभी के बीच उत्सव की शुरुआत होती है और यह एक ऐसी भूमि भी है जिसने अपनी विविध संस्कृतियों को सबसे परोपकारी तरीकों से सहन किया है। राजस्थान में अत्यधिक सुसंस्कृत संगीत और नृत्य रूपों की परंपरा है। राजस्थान के जयपुर में शनिवार रात एक साथ छह हजार महिलाओं और बालिकाओं ने सामूहिक घूमर नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। बता दें कि जैसलमेर के कालबेलिया नृत्य और उदयपुर के घूमर नृत्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

दरअसल, यह कार्यक्रम 28 मई को जयपुर शहर के मानसरोवर की पत्रकार कॉलोनी स्थित वत्सला गार्डन में सद्भावना परिवार द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा ने भी शिरकत की और परफॉर्मेंस भी दीए। वहीं मंच का संचालन जूनियर अक्षय कुमार विकल्प मेहता कर रहे थें। सामूहिक घूमर नृत्य का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए महिलाएं पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहन कर वत्सला गार्डन पहुंची। कार्यक्रम में 5100 महिलाओं के सामूहिक घूमर नृत्य करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन छह हजार महिलाओं ने कार्यक्रम में भाग लेकर एक नया विश्व रिकॉर्ड रच दिया। सामूहिक घूमर नृत्य का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, दौसा, उत्तराखंड, आगरा, पुणे और गुजरात की महिलाओं ने अपनी भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम संचालक सद्भावना परिवार के मनोज पांडे ने बताया कि ‘सामूहिक घूमर नृत्य का पिछला वर्ल्ड रिकॉर्ड 3003 महिलाओं का था। अब अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सद्भावना परिवार ने अब छह हजार महिलाओं ने सामूहिक घूमर नृत्य करने का विश्व कीर्तिमान कायम किया है। महिलाओं की इस शानदार उपलब्धि को गुलाबी नगर के नाम से ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज किया गया है।’

कहा जाता है की घूमर नारीत्व का प्रतीक होने से लेकर राजस्थान संस्कृति के सार तक परंपरागत रूप से, केवल नृत्य और गायन का कार्य नहीं था, बल्कि स्त्रीत्व का प्रतीक भी था। युवा लड़कियों ने इस नृत्य में भाग लिया, जिससे सभी को पता चला कि वे नारीत्व में कदम रख रही हैं।

घूमर राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नृत्य है और इसे घाघरा नामक पोशाक पहन कर महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसे 2013 में “दुनिया भर के शीर्ष 10 स्थानीय नृत्यों” की सूची में चौथा स्थान दिया गया था। ‘घूमर’ शब्द नर्तकियों के घूमने की गति का वर्णन करता है और घूमर का आधार है।

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