भारतीय रेल से सफर करने वाले बजुर्ग यात्रियों और खिलाड़ियों के लिए बुरी खबर सामने आयी है। दरअसल, रेलवे ने इन्हें किराए में छूट देने से इनकार कर दिया है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि ”रेलवे के पैसेंजर सेगमेंट का किराया पहले से ही काफी कम है और अलग अलग कैटगरी के लोगों को रियायती टिकट दिए जाने के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं कम किराया होने के चलते रेलवे को हर रेल यात्री के औसत किराया का 50 फीसदी भार खुद उठाना पड़ रहा है।
अश्वनी वैष्णव ने कहा कि, ”बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत से रेलवे को वर्ष 2017-18 में रेलवे को 1491 करोड़ रुपए, 2018-19 में 1636 करोड़ रुपए और 2019-20 में 1667 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था।”
इसलिए दोबारा बहाल नहीं होगी रियायती सेवा
लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि ”कोरोना महामारी के चलते दो सालों से पैसेंजर सर्विस से होने वाले आय में काफी कमी आई है। इससे रेलवे के वित्तीय सेहत पर असर पड़ा है। रेल कंसेशन बहाल करने से रेलवे के वित्तीय सेहत पर और भी असर पड़ेगा, इसलिए सीनियर सिटीजन समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए अभी रियायती रेल टिकट सेवा बहाल किया जाना संभव नहीं है।
पहले रेल किराये पर मिलती थी छूट
जैसा की हम सभी जानते है की ज्यादातर सीनियर सिटीजन का कोई इनकम का ठोस जरिया नहीं होता है। उपर से मार्च 2020 में कोरोनो महामारी के शूरू होने के बाद सरकार ने रेल सफर करने के लिये उन्हें दी जाने वाली रियायतों को निलंबित कर दिया गया है, जो अभी भी अमल में है। इससे बुजुर्गों को रेल सफर करने के लिये अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है।
आपको बता दें रेलवे मार्च 2020 से पहले वरिष्ठ नागरिकों के मामले में महिलाओं को 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी किराये पर छूट देता था। रेलवे द्वारा ये छूट हासिल करने के लिये बुजुर्ग महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष थी।