आज तक हमने और आपने किसी विशेष व्यक्ति की सुरक्षा के लिए गार्ड्स की सिक्योरिटी देखी और सुनी होगी। जिनमे लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए जाते हैं। सिक्योरिटी का मकसद होता है संबंधित शख्स को किसी भी तरह से परेशानी से बचाना। लेकिन आज जिस सिक्योरिटी की हम बात करने वाले हैं। वो किसी इंसान की नहीं बल्कि एक पेड़ की है। इस पेड़ की सुरक्षा के लिए चौबीस घंटे सुरक्षाकर्मी डटे रहते हैं।
कहां है ये पेड़ ?
इस पेड़ के बारे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी चर्चाएं हैं। ये अनोखा पेड़ है हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में । एमपी के आश्चर्य कहलाने वाले सांची के स्तूप के पास ही इस पेड़ को रोपा गया है। भोपाल से रायसेन के पर्यटन शहर सांची की ओर जाने वाले मार्ग की दाहिने हिस्से की पहाड़ी पर इस बोधि पेड़ को रोपा गया है।
किसने रोपा है ये खास पेड़ ?
इस पेड़ को सितंबर 2012 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे अपने साथ लेकर आए थे। राजपक्षे ने जिस पेड़ की साख को सलामतपुर की पहाड़ी पर लाकर रोपा था। वो श्रीलंका के बरगद के पेड़ की साख का एक हिस्सा है।ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ने बोधगया पेड़ के नीचे ही ज्ञान अर्जित किया था, फिर गया से उसी पेड़ की शाखाएं सम्राट अशोक अपने साथ लेकर शांति की खोज के लिए निकले थे।
हर साल खर्च होते हैं 12-15 लाख
ये अपने तरीका अनोखा मामला है जहां पर किसी पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए हर साल भारी भरकम रकम खर्च की जाती है। इस पेड़ की सुरक्षा के लिए हर वक्त इसके आसपास सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा रहता है। यही नहीं पेड़ में किसी तरह कोई दिक्कत ना आए इसलिए इसका मंथली रुटीन चेकअप भी डॉक्टर्स करते हैं। पेड़ के चारों ओर 15 फीट ऊंची लोहे जाली की दीवार खड़ी की गई है। ताकि इसके करीब तक कोई भी नहीं पहुंच सके। इस पेड़ की सुरक्षा के लिए लगे सुरक्षाकर्मियों पर हर साल 12 से 15 लाख रुपए का खर्च आता है। यानी साल 2012 से अब तक इस पेड़ की सुरक्षा के लिए 1 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है।ये पेड़ सांची घूमने आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है।