When does puberty start:वर्तमान समय में हम देखते हैं कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में वक्त से पहले ही परिवर्तन देखने को मिल रहा है। फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की हो लेकिन आज बच्चे वक्त से पहले ही जवान हो रहे हैं। कुछ समय पहले यह था कि बच्चों में प्यूबर्टी (puberty) आने का एक वक्त होता था। लेकिन आज बच्चों में यह सारे बदलाव वक्त से पहले नजर आ रहे हैं। इस बदलाव को देखकर बच्चों के माता-पिता भी काफी चिंतित हो जाते हैं और बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाते हैं। इस मानसिक और शारीरिक बदलाव को प्यूबर्टी (puberty) कहा जाता है।
कब शुरू होती है प्यूबर्टी?
लड़कियों की बात करें तो प्यूबर्टी (When does puberty start) का समय आमतौर पर 10 से 14 साल के बीच शुरू होता है। वहीं लड़कों में यह पीरियड 12 से 16 साल के बीच शुरू होता है। हालांकि प्यूबर्टी का प्रभाव लड़कों पर ज्यादा नहीं पड़ता है। लेकिन लड़कियों के मानसिक सोच पर प्यूबर्टी के काफी प्रभाव होते हैं। इसलिए माता-पिता को अपनी जवान हो रही बेटियों का खास ख्याल रखना पड़ता है। तो चलिए हम आपको बता रही हैं कि प्यूबर्टी (puberty) में लड़कियों को किस तरह से शारीरिक और मानसिक तौर पर संभालना चाहिए।
प्यूबर्टी के दौरान लड़की और लड़कियों के प्रजनन अंग क्रियाशील होना शुरू हो जाते हैं। उनकी बॉडी में सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्राडियोल का बहाव भी शुरू हो जाता है। इस वजह से ही उन में शारीरिक फेरफार नजर आने लगते हैं।
प्यूबर्टी (When does puberty start) शुरू होते ही लड़कियों में बेस्ट साइज बढ़ने लगता है और पुरुषों में लिंग के आकार में वृद्धि होती है। बदलते दौर में लड़कियों में puberty वक्त से पहले ही नजर आने लगी है। आज हम देखें तो 7 और 8 साल की नन्हीं नन्हीं बच्चियों में प्यूबर्टी (puberty) के लक्षण हमें नजर आने लगते हैं। आजकल उम्र से पहले ही लड़कियों का ब्रेस्ट साइज बढ़ने लगा है और उन्हें पीरियड भी आने लगे हैं। वहीं कुछ लड़कियों में अंडर आर्म्स के बाल उगने लगते हैं और योनि से सफेद पानी निकलना भी शुरू हो गया है। वहीं कुछ लड़कियों को इसी उम्र में मुंहासे की समस्या भी होने लगी है।
अपनी बच्चियों में असमय हो रहे इस परिवर्तन को देखकर बच्चे के साथ माता-पिता भी घबरा जाते हैं और तुरंत डॉक्टर के पास दौड़ पड़ते हैं। जिन लड़कियों में उनकी उम्र से पहले ही प्यूबर्टी (puberty) नजर आ रही है उन्हें भविष्य में भी कई तरह की मेडिकल और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी बच्चियों को बढ़ती उम्र के साथ हुआ मोटापा, ईटिंग डिसऑर्डर, डिप्रेशन आदि समस्याओं का सामना होता है। यहां तक कि कहीं बार उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना भी करना पड़ता है।
कुछ सालों पहले puberty (When does puberty start) के लक्षण 10 से 14 साल की उम्र की 20 की लड़कियों में ही नजर आते थे। लेकिन फिलहाल यह लक्षण 7 से 8 साल की उम्र में ही शुरू होने लगे हैं। आज हम देखें तो करीब 15% लड़कियों को 7 से 8 साल में ही ब्रेस्ट साइज बढ़ने के मामले नजर आने लगे हैं और 10% लड़कियों में अंडर आर्म्स के बाल उगने लगे हैं। इस बात का मतलब यह है कि आज लड़कियां अपने तय वक्त से पहले ही जवान होने लगी है और इसके पीछे की वजह गलत खानपान है
शारीरिक फेरफार के बारे में प्यार से समझाएं
जब हम अपनी बच्चियों में उन्हों से पहले ही जवानी (When does puberty start) के लक्षण देखते हैं तो स्वाभाविक तौर पर डर जाते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में हमें डरना नहीं चाहिए और मजबूत बनकर अपने बच्चे को सपोर्ट करना चाहिए। अगर अपनी बेटी puberty के समय से गुजर रही है तो माता-पिता को चाहिए कि सबसे पहले उनसे खुलकर बात करें। शरीर में हो रहे इस बदलाव के बारे में नरमी से जानकारी दे। उन्हें यह समझाए कि महिलाओं के शरीर में बदलाव आना एक नॉर्मल सी बात है और इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। बच्ची को समझाए कि यह एक ऐसा फेज है जिससे हर किसी को गुजरना पड़ता है। आपके समझाने से आपकी बेटी अपने बदलते शरीर से भी प्यार करने लगेगी।
बच्चों के साथ वक्त गुजारे
प्यूबर्टी (puberty) के लक्षण नजर आते ही बच्चे और बच्चियां मैच्योर होने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि लड़का हो या लड़की लेकिन उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने की कोशिश करें। अपने बच्चे को सही और गलत बातों का फर्क समझाएं। उन्हें इस बात से बिल्कुल सहज महसूस कराएं और दोस्त की तरह उनकी हर एक्टिविटी में हिस्सा लेते रहे। यहां तक कि उनके साथ कोई ऐसी एक्टिविटी करें जिसमें आपके साथ आपके बच्चे भी शामिल होकर अपने प्यूबर्टी (puberty) समय से बुरी तरह से प्रभावित ना हो।
बेटियों को कपड़ों के बारे में टोकना गलत
कई बार ऐसा होता है की बेटी को जवान होता देखकर उनके माता-पिता कपड़ों को लेकर रोकटोक करने लगते हैं। लेकिन एक बात जान ले कि यह आप अपनी बच्ची के साथ सरासर गलत कर रहे हैं। माता-पिता को चाहिए कि अपनी जवान हो रही बच्ची को उसकी उम्र के हिसाब से बर्ताव करने दे भले ही उनके शरीर में बदलाव हो रहे हैं। उसको बार-बार रोकटोक से बच्चे असहज हो जाते हैं और उनका आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है। इसलिए हर मां को चाहिए कि अपनी बेटी को उसकी पसंद के बारे में पूछे और उनके हिसाब से ही काम करें।