60 साल से मशीन के अंदर कैद है एक इंसान, पढ़ाई पूरी करने के बाद लिख डाली है पूरी किताब

Deepak Pandey
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क्या कोई इंसान मशीनों के सहारे 60 सालों तक जिंदा रह सकता है। क्या कोई आदमी जिसके गर्दन के नीचे का पूरा हिस्सा काम करना बंद कर चुका हो वो अपनी कहानी को दुनिया को बता सकता है। आपका जवाब होगा ऐसा मुमकिन नहीं है। लेकिन इस दुनिया में एक ऐसा इंसान है जो मशीन के सहारे ना सिर्फ जिंदा है बल्कि उसने 60 सालों में वकालत की डिग्री हासिल की और खुद की जीवन पर एक किताब भी लिखी । आईए बताते हैं आपको इस इंसान के बारे में।

अमेरिका के टेक्सास में एक इंसान है जिनका नाम है पॉल एलेक्जेंडर । पॉल पिछले साठ सालों से एक लोहे के मशीन में कैद है। ये मशीन पॉल को जीने के लिए एक दिन देती है। क्योंकि पॉल का पूरा शरीर पैरालाइज्ड है। लेकिन उनका दिमाग काम करता है। पॉल इस मशीन के अंदर रहकर ही अपना सारा काम करते हैं। जैसे खाना खाना और किताबें पढ़ना।उनके हाथ और पैर काम नहीं करते लिहाजा मशीन की मदद से उनके फेफड़ों में हवा पहुंचाई जाती है ताकि वो जिंदा रह सके।

कैसे हुई पॉल की ये हालत ?
साल 1952 में पूरी दुनिया में पोलिया वॉयरस फैला जिसकी चपेट में पॉल भी आ गए। पॉल जब 6 साल के थे स्कूल में खेलने के दौरान वो संक्रमित हुए। जब तक वो घर पहुंचे उनकी हालत खराब हो चुकी थी। पॉल के माता पिता उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास लेकर गए। डॉक्टर ने पॉल का इलाज किया लेकिन पोलिया के कारण उनका आधा शरीर सुन्न हो चुका था। इलाज के बाद पॉल घर तो लौटे लेकिन उनकी जिंदगी सामान्य नहीं रही। वो सिर्फ अपनी गर्दन हिला पाते औऱ बोल सकने में सक्षम थे। इसके अलावा पॉल कुछ नहीं कर सकते थे। माता-पिता ने पॉल को स्कूल भी भेजा लेकिन दूसरे बच्चे पॉल से दूरी बनाने लगे। एक दिन पॉल गंभीर तौर पर बीमार पड़ गए। जिसके बाद उन्हें डॉक्टरों ने कृत्रिम मशीन के अंदर डाल दिया। इस मशीन में पॉल की अलग जिंदगी शुरु हुई। मशीन के अंदर पॉल को 60 साल हो चुके हैं।

पॉल की इच्छाशक्ति
पॉल के साथ सैकड़ों लोगों को इलाज के लिए मशीन के अंदर डाला गया लेकिन पॉल ही उनमे से इतने दिनों तक जिंदा हैं।पॉल की मानें तो वो अपनी जिंदगी से दुखी नहीं है। वो दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनना चाहते है ताकि उनके जाने के बाद भी लोग उन्हें याद रखे। आपको बता दें कि पॉल ने मशीन के अंदर रहते हुए हिम्मत नहीं हारी बल्कि वकालत की डिग्री हासिल की है। पॉल ने इस दौरान पढ़ाई कि और अपनी जिंदगी पर आधारित एक किताब लिखी है। इस किताब का नाम है- THREE MINUTS For A Dog

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