Amish Community: दुनिया भर में पता नहीं कितने समुदाय और मजहब के लोग रहते हैं और इन सब की अलग अलग रीति रिवाज और परंपरा होती है. कुछ-कुछ तो ऐसी अनोखी परंपराएं होती हैं जिन पर यकीन करना मुश्किल है.
अब आप भारत में ही देख लीजिये, बच्चे का मुंडन किया जाता है तो उसके सिर के बाल काटे जाते हैं. दूसरी तरफ दुनिया के एक हिस्से में ऐसा मजहबी है जहां पर मरते दम तक लड़कियां अपने बाल काट नहीं सकती. चाहे फिर वह हेयर स्टाइल के लिए हो या फिर अंडर आर्म्स से आ रही बदबू दूर करने के लिए बाल काटने हो.
ऐसा कहा जाता है कि बाल काटने पर समुदाय में घोर संकट आ जाता है और बाप लग जाता है. इसलिए लड़कियां अपने अंडर आर्म्स के बाल भी नहीं काट सकती. भले ही दुनिया ने आज कितनी की तरक्की कर ली हो लेकिन कुछ ऐसे लोग और उनकी परंपराएं हैं जो आज भी चलती आ रही है.
जिंदगी भर कोई भी लड़की इस समुदाय में अपने बाल तक नहीं काट सकती. ऐसी अजीबोगरीब परंपरा एनाबैप्टिज्म में क्रिश्चियन चर्च से जुड़े हुए अमिश समुदाय की है. इसे समुदाय की महिलाओं का चर्च के बिबलीकल नियम के अनुसार बाल काटना पूर्णतः वर्जित है.
इस नियम के अनुसार कोई भी महिला अपने शरीर के किसी भी हिस्से के बाल नहीं काट सकती हैं. इसलिए उन्हें जब भी बाहर जाना हो वह अपने बालों का जुड़ा बनाती हैं और फिर उसे कपड़े से ढक कर ही बाहर जाती हैं. घर के अंदर बाल खुला रखने पर कोई पाबंदी नहीं है.
अमिश समुदाय की लड़कियों को अपने बालों को काटने और ब्लीच करने का अधिकार भी नहीं है. इसलिए वह अपने हाथ और पैरों के वालों को छुपाने के लिए लंबी स्लीव्स वाले कपड़े पहनती हैं. इसके अलावा पैरों के बालों को छुपाने के लिए लंबी बाजू के शॉक्स पहनती है.
इस अनोखी परंपरा के कारण अमिश समुदाय की महिलाएं अपने अंडर आर्म्स के बाल भी नहीं काट सकती. बालों की लंबाई ज्यादा बढ़ने से उन्हें पसीने की बदबू का सामना भी करना पड़ता है. बदबू को दूर रखने के लिए वह इत्र का इस्तेमाल करती हैं. अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करती पाई जाती है तो उसे घर वालों के साथ ही पूरा समुदाय सजा देता है.
ऐसे समुदाय की महिलाएं मरने तक अपने बाल नहीं कटवा सकती. लेकिन सिर के लम्बे होते बालों की केयर के लिए वह किसी भी नियम का पालन नहीं करती हैं. इनके लिए कोई नियम बनाया ही नहीं गया है. महिलाएं शैंपू या साबुन से अपने बाल धो सकती हैं. लेकिन नहाने के बाद बालों को ढक कर रखना अनिवार्य है.