हिंदू समाज में शादी से जुड़ी कई प्रथाएं है लेकिन कुछ ऐसी प्रथाएं भी हैं जिनका अनुसरण हम करते चले आ रहे हैं
इन्हीं प्रथाओं में से एक है कन्यादान
कन्यादान से तात्पर्य है कि अपनी कन्या किसी और को देना
वेदों के समय में स्त्रियां स्वयंबर करती थी और अपना जीवन साथी खुद चुनती थी
लेकिन फिर धीरे-धीरे कन्यादान जैसी प्रथा का आगमन हो गया
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले दक्ष प्रजापति ने अपनी कन्याओं के विवाह में कन्यादान किया था
ऐसा माना जाता है कि जब विवाह के दौरान कन्या का पिता विधि विधान के साथ कन्यादान करता है तो उसका भाग्य हमेशा अच्छा रहता है
हैं
ऐसे में लड़की का पिता अपनी लक्ष्मी जैसी पुत्री को किसी वर पक्ष को सौंप देता है
कहते हैं कि वह लक्ष्मी का दान करता है तो वह सुख समृद्धि भी दान कर देता है
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