जावेद अख्तर: न सर पर छत थी या नहीं भूख मिटाने के लिए खाना, स्ट्रगल के दिनों मे सलीम खान ने की थी ऐसी मदद….

Ranjana Pandey
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यदि बॉलीवुड में कोई फ़िल्म चलती है तो उस फ़िल्म में काम कर रहा हीरो हिरोइन काफी लोकप्रियता कमाते हैं। उस पर एक फ़िल्म सफल बनाने के लिए उसकी कहानी का बहुत बड़ा रोल होता है।ऐसे में हम कह सकते हैं कि स्क्रीन राइटर बॉलीवुड इंडस्ट्री के अहम हिस्सा हैं। ऐसे ही एक स्क्रीन राइटर और लिरिसिस्ट है जावेद अख्तर। जावेद अख्तर ने अपने आप को बॉलीवुड में कई सालों से सक्रिय रखा है। उनके जीवन के बारे में लोग बहुत कम ही जानते हैं लेकिन उनके जीवन से जुड़ी बातें उन्होंने अपनी फेमस किताब तरकश में लिखी है।जावेद अख्तर को एक डेडिकेटेड लेखक के तौर पर देखा गया है। यहाँ तक कि कई बड़े बड़े ऐक्टरों का भी मानना है कि उनका योगदान हिंदी सिनेमा के लिए अतुल्य है।

एक बार शाहरुख खान ने भी कहा था कि जावेद ने भारतीय सिनेमा में जो योगदान दिया है वो ऐसा करने वाले से कहीं ज्यादा है। साल 1970 में आई फ़िल्म ज़ंजीर, दीवार शोले और त्रिशूल जैसी बड़ी बड़ी हिट फ़िल्मों में सलीम खान के साथ काम करके अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले जावेदको यश चोपडा ने गीतकार के तौर पर मौका दिया था। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि निर्देशन किया चोप्रा ने उन्हें फिल्मों में गीतकार के तौर पर आने का मौका दिया था। उन्होंने इस मौके को जाने नहीं दिया और जावेद अख्तर ने स्क गाने के जरिये अपना जादू चलाने का काम शुरू किया। राज्यसभा के सदस्य के रूप में रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ विपक्ष की सरकार को बेहतरीन तरीके से प्रभावित किया था।

जावेद अख्तर एक नास्तिक के रूप में जाने जाते हैं और उन्होंने अपने बच्चों फरहान अख्तर और जोया अख्तर को भी इसी तरह पाला है। से उन्होंने अपनी शुरुआती दिनों में कवी कैकी आजमी को असिस्ट किया था। हनी इरानी से तलाक लेने के बाद कैकी आज़मी की बेटी शबाना आजमी से शादी कर ली थी। साल 1964 में जावेद अख्तर मुंबई आए थे। उस समय उनके पास न रहने के लिए घर था न खाने के लिए पैसे। वे जोगेश्वरी के कमाल अमरोही स्टूडियो में पेड़ों के नीचे या गलियारों में सोया करते थे। सलीम खान से पहली बार फ़िल्म सरहदी लुटेरों में काम करते समय उनकी मुलाकात हुई। बाद में जावेद को संवाद लेखक बना दिया गया था। वक्त के साथ सलीम और जावेद स्क्रिप्ट राइटर की जोड़ी के तौर पर उभरकर आए। सलीम कहानियों के बारे में सोचा करते थे और जावेद उनके लिए डायलॉग लिखा करते थे। दोनों ने मिलकर 24 फ़िल्में लिखी जिसमें 20 फ़िल्में हिट रही। उन्होंने हिंदी में ही नहीं बल्कि तेलुगू फिल्मों में और कन्नड़ फिल्मों में भी स्क्रिप्ट राइटिंग का काम किया है। चौथा बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीतकर सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट के लिये सात बार और सर्वश्रेष्ठ गाने के लिए सात बार पुरस्कृत हो चुकें हैं जावेद अख्तर।

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