आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि रविवार के दिन टीम इंडिया ने अंडर-19 विश्व कप में इंग्लैंड को हराकर शानदार जीत हासिल की है और वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की है. भारतीय टीम ने 3 विकेट गंवाकर इस जीत को हासिल किया है. इस मुकाबले में इंग्लैंड की टीम केवल 68 रन बनाकर ही ऑल आउट हो गई थी. भारतीय टीम की इस जीत में अर्चना देवी का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा है और जीत के बाद से ही उनके घर और गांव में जश्न का माहौल है.
आज हम भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी अर्चना देवी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. इनकी मां सविता देवी बताती हैं कि अर्चना में बचपन से ही अलग टैलेंट था. वह बचपन में लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनती थी और कहा करती थी कि मम्मी कुछ भी हो जाए हार नहीं मानेंगे. वह हर काम करने के लिए तैयार रहती थी.
अर्चना के पिताजी का साल 2008 में कैंसर से निधन हो गया. अर्चना देवी की मां सरिता देवी ने गांव के लोगों के काफी ताने सुने लेकिन अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए उसे गांव से 350 किलोमीटर दूर मुरादाबाद भेजा.
कूट कूट कर भरी थी हिम्मत और जज्बा
अर्चना कुमारी की मां सरिता देवी बताती हैं कि वह बचपन में कभी भी लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनती थी. हम उससे कहते थे कि बेटा तू इस लायक नहीं है और यह काम नहीं कर पाएगी. लेकिन वह हर बार ये कहती थी कि माँ, चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन हम कभी भी हार नहीं मानेंगे.
रेस में आया दूसरा नंबर तो पूनम गुप्ता ने किया फोकस
18 साल की महिला क्रिकेटर अर्चना ने बताया कि, “बचपन में हम गांव में रहते थे और कम उम्र में ही मेरे पिताजी का निधन हो गया था. इसके बाद मम्मी ने कस्तूरबा गांधी स्कूल में मेरा दाखिला करवा दिया. स्कूल में एक दिन दौड़ हुई तो मैं सेकंड नंबर पर आई. उसके बाद हमारी मैडम पूनम गुप्ता ने मुझ पर ध्यान दिया और उन्होंने सोचा कि यह खिलाड़ी बनने लायक है.
इसके आगे बात करते हुए अर्चना ने बताया कि मैंने पहले चार-पांच महीने तो स्कूल में खेला. लेकिन मुझे क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. एक दिन पूनम मैडम ने मेरी मम्मी को फोन कर कहा कि इसे आगे बढ़ाने के लिए मैं कानपुर लेकर जाना चाहती हूं. लेकिन इस बात पर मेरी मम्मी कभी राजी नहीं हुई. लेकिन मम्मी पर मैंने, मैडम ने और मेरे भाई ने दबाव बनाया तो वह मान गई. इसके बाद पूनम मैम ने मेरा खाने-पीने और रहने का पूरा खर्चा उठाया.
मैम पूनम गुप्ता को था भरोसा
अर्चना की माँ ने बताया कि, “वह बचपन से ही कुछ करना चाहती थी. लेकिन मै कहती थी कि बेटा तुम इस गांव में कुछ भी नहीं बन पाओगे. हमारे पास इतना पैसा नहीं है जो तुम अपना कोई सपना पूरा करो. लेकिन मैम पूनम गुप्ता हमेशा हिम्मत देती थी और कहती थी उम्मीद मत हारो. अगर भगवान का आशीर्वाद रहा तो एक दिन जरूर कुछ बनोगी.
रॉवर्स के कोच कपिल पांडे ने पहचाना अर्चना देवी का टैलेंट
पूनम गुप्ता ने अर्चना देवी के अंदर के खिलाड़ी की पहचान कर ली और उसे साल 2016 में कानपुर के रॉवर्स क्रिकेट क्लब में भर्ती करवा दिया. इसके बाद क्रिकेट क्लब के कोच कपिल पांडे ने अर्चना का टैलेंट पहचाना और उसे पेस गेंदबाजी नहीं बल्कि स्पिन गेंदबाजी करने के लिए कहा. आपको बता दें कि कपिल पांडे भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव के कोच भी रह चुके हैं. ऐसा ही उन्होंने कुलदीप यादव को भी कहा था.
अर्चना देवी ने बताया कि मैंने पहले 1 महीने तेज गेंदबाजी पर फोकस किया. लेकिन कपिल सर ने मुझे ऑफ स्पिनर बना दिया और स्पिन गेंदबाजी करने का सुझाव दिया. मैं तेज गेंदबाज थी तो उन्होंने मुझसे पहले मीडियम पेस गेंदबाजी करवाई. लेकिन मेरा बेस्ट स्पिन गेंदबाजी में रहा तो कपिल सर ने मुझे स्पिन गेंदबाजी पर ज्यादा ध्यान देने को कहा.