इस दुनिया में कई प्रतिभावान लोग रहते हैं और उनकी प्रतिभा भी एक दिन लोगों के सामने जरूर आ जाती है. लोगों का कहना है कि अपनी सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बलबूते पर लोग वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो वह पाना चाहते हैं. लगन और मेहनत के साथ प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है.
कमजोर कमजोर व्यक्ति भी मजबूत इरादों के साथ अपनी मंजिल को आखिरकार प्राप्त कर ही लेता है. उसमें उस चीज को प्राप्त करने की लगन जरूर होनी चाहिए और इसके लिए उसके पास प्रतिभा का होना भी जरूरी है.
राधेश्याम जांगिड़ ने कर दिखाया यह कारनामा
अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर ऐसा ही कुछ कारनामा राजस्थान के बाड़मेर जिले के गंगाला गांव के रहने वाले राधेश्याम सिंह ने कर दिखाया है. आपको बता दें कि यह राधेश्याम ने अपनी मेहनत से मात्र 2 घंटे में 15 एमएम लम्बा और 3.5 एमएम मोटाई वाली शहीद स्मारक बनाया है.
राजस्थान की सरहद पर बसे हुए बाड़मेर जिले के सीमावर्ती चौहटन उपखंड के गंगाला गांव के रहने वाले राधेश्याम जांगिड़ का जीवन कई अभाव के बीच गुजरा है. लेकिन फिर भी इन विषम परिस्थितियों के बाद भी वह अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा लोगों के सामने मनवाते आ रहे हैं.
15 एमएम का दुनिया का सबसे छोटा शहीद स्मारक
राधेश्याम जांगिड़ ने अपने पुश्तैनी काम में रूचि दिखाते हुए मात्र 15 एमएम का दुनिया का सबसे छोटा शहीद स्मारक बनाया है. राधेश्याम जांगिड़ ने दुनिया का सबसे छोटा शहीद स्मारक बनाकर भारतीय सेना को भेंट किया है. इन्होंने काष्ठ कला की अपनी प्रतिभा को निखारा है और लगातार इसे लेकर प्रत्यनशील है. राधेश्याम जांगिड़ का कहना है कि वह अपनी इस काष्ठ कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना चाहते हैं.
राधेश्याम द्वारा बनाए गए 15 एमएम के दुनिया के सबसे छोटे शहीदी स्मारक को वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में शामिल किया गया है और उनकी तरफ से इन्हें सम्मानित भी किया गया है. सम्मान के रूप में इन्हें एक मेडल और प्रमाण पत्र दिया गया है. राधेश्याम जांगिड़ ने कहा कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस मेहनत और लगन से सब कुछ हासिल कर सकते हैं.
वर्तमान समय में नौकरी और पैसों के लिए भागदौड़ वाली इस दुनिया में कुछ भी ले लोग राधेश्याम जैसे भी होते हैं जो अपने पुश्तैनी काम को आगे ले जाना चाहते हैं और अलग मुकाम हासिल करना चाहते हैं.