हम आपको राजस्थान के अलवर जिले में रहने वाली प्रियंका वर्मा की एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं जो आज के लोगों के लिए कुछ प्रेरणा बन चुकी है. उन्होंने कुछ अलग ही अंदाज से और मेहनत से अपने सपनों को हासिल किया है जिससे वह अन्य लड़कियों की प्रेरणा बन चुकी है.
अलवर जिले के खूदनपुरी गांव में रहने वाली प्रियंका वर्मा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है और इनके अलावा तीन भाई भी परिवार में रहते हैं. कुल मिलाकर 4 भाई बहनों में प्रियंका अकेली बहन है. आर्थिक रुप से कमजोर स्थिति को देखते हुए प्रियंका ने मन में ठान लिया कि वह कुछ अलग करना चाहती है और अपने परिवार को गरीबी के चंगुल से निकालना चाहती है.
हॉकी जैसे खेल में राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पहचान
इसके बाद इन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया और तब से ही हमेशा आगे बढ़ने के बारे में सोचा. उनकी ऐसी सोच के कारण उन्हें हॉकी जैसे खेल में राष्ट्रीय स्तर पर कई बार पहचान मिल चुकी है. प्रियंका के कोच विजेंद्र सिंह नरूका ने इस बारे में बताया. कोच विजेंद्र सिंह ने बताया कि प्रियंका ने साल 2012 से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था.
प्रियंका वर्मा के माता-पिता और मजदूरी कर कर अपने घर परिवार को पालते हैं. यहां तक कि वह जिस गांव से ताल्लुक रखती है, वहां कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है. उन्होंने बताया कि प्रियंका वर्मा ने पांचवी क्लास से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था और अब तक 20 बार राज्य प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी हैं.
प्रियंका वर्मा ने महिला हॉकी टीम की कप्तानी की
साल 2022-23 में राज ऋषि मत्स्य विश्वविद्यालय में प्रियंका वर्मा ने महिला हॉकी टीम की कप्तानी की थी. कप्तान के रूप में अंतर विद्यालय प्रतियोगिता में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. वर्तमान समय में वह इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रही है और अपने माता-पिता को सहारा दे रही हैं. इस तरह से परिवार का माहौल भी अच्छा हो गया है.
इसके अलावा प्रियंका वर्मा अब अपने गांव के लड़के और लड़कियों को शाम के वक्त अपने अनुभव और हॉकी से संबंधित गुर सिखाती है. इनका वर्मा उन लोगों में शामिल है जो खुद तो अच्छा खेल खेलती हैं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही हैं. पूरे गांव और स्कूल के साथ साथ कोच विजेंद्र सिंह नरुका भी प्रियंका की तारीफ करते हुए नहीं थकते है.