अगर इंसान सच में अपना सपना साकार करना चाहता है और उसके साथ वह लगन और मेहनत भी जोड़ दे तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है. ऐसा ही कुछ बाड़मेर के उडण्खा गांव के रहने वाले मूलचंद ने रेगिस्तान के धोरों में देसी जुगाड़ से अंजीर उगा कर कर दिखाया है. यहां के किसान मूलचंद ने ऐसा कारनामा किया है जो यहां के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
आज के समय में ज्यादातर किसान पारम्परिक खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती करने पर ध्यान दे रहे है. इसके साथ ही सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रही है और नए विकल्प का चुनाव कर रही है. रेगिस्तान के धोरों में जहां प्रगतिशील किसान पानी की कमी और विषम परिस्थिति में भी जीरा, ईसबगोल, सरसों, अरण्डी और रायड़े की खेती कर रहे है तो दूसरी तरफ मूलचंद जैसे मेहनती किसान अंजीर की खेती भी कर रहे है.
पश्चिमी रेगिस्तान के बाड़मेर जिले के उडण्खा गांव में ऑर्गेनिक खेती से किसान अंजीर उगाकर बेच रहे हैं. शहर के पास ही स्थित उडण्खा गांव में एक किसान ने 3 साल पहले अपने खेत में 5 हजार अंजीर के पौधे लगाए थे. इन पौधों से अब वह अंजीर निकाल रहा है. यहां के किसान ने देसी जुगाड़ से ऑर्गेनिक खेती से अंजीर उगाये है. इस प्रकार उसने तैयार कर 5 क्विंटल अंजीर बेची है, जिसका भाव 1000 रूपये प्रति किलो है.
मूलचंद ने बताया रेगिस्तान में अंजीर की खेती करना आसान नहीं
मूलचंद ने बताया कि रेगिस्तान में अंजीर की खेती करना कोई आसान काम नहीं था. लेकिन मौसम के हिसाब से मैंने ऑर्गेनिक खाद तैयार की और उससे अंजीर की अच्छी पैदावार हमें मिली है. पैदावार तो बहुत ही अच्छी हो गई थी लेकिन कोई प्रोसेसिंग प्लांट ना होने के कारण इसे बेचना भी मुश्किल हो गया था. इसके बाद देशी जुगाड़ लगाया और वह नासिक चले गए.
इसके बाद देशी तरीका अपनाते हुए मैंने खुद ही पॉली हाउस बनाया और सूरज की धूप से ही अंजीर को सुखाया. इसके बाद अंजीर की पैकिंग की और इसे बाजार में बेचा. पहले रेगिस्तान का किसान जीरा और ईसबगोल की खेती से ही आय कमा रहा था लेकिन अब खेती में नवाचार होने से और भी अधिक मुनाफा कमा रहे है.
इस समय बाड़मेर जिले के करीब 22 हैक्टेयर में अंजीर की खेती की हुई है. वर्तमान समय में बाड़मेर जिले के उडण्खा और चौहटन में अंजीर की खेती हो रही है.