देश की सबसे अमीर बेटी ईशा अंबानी है राजस्थान के इस गांव की बहू, देखें 100 साल पुराने पीरामल पैलेस की अंदर की तस्वीरें

Durga Pratap
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आप लोगों को तो पता ही है कि देश के सबसे बड़े अमीरों में से मुकेश अंबानी की लाडली बेटी ईशा अंबानी की शादी पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल के बेटे आनंद पीरामल से हुई है. हाल ही में इन्होंने दो जुड़वा बच्चों को भी जन्म दिया है. मशहूर बिजनेसमैन आनंद पीरामल का पैतृक गांव राजस्थान के झुंझुनू जिले का बगड़ गांव है. यहां तक कि शादी के बाद ईशा अंबानी भी अपने ससुराल आती जाती रहती हैं. देखा जाए तो राजस्थान के झुंझुनू जिले में पड़ने वाला बगड़ गांव छोटा सा कस्बा है, लेकिन यहां दुनिया भर की मशहूर हवेलियां मौजूद हैं.

दोस्ती रिश्तेदारी में बदली

आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि अंबानी परिवार और पीरामल परिवार पिछले 40 सालों से एक दूसरे के अच्छे दोस्त रहे हैं और इन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल लिया है. पीरामल ग्रुप की शुरुआत साल 1920 में हुई थी जो अब 67000 करोड़ का बिजनेस एंपायर बन चुका है. उस समय पहले विश्व युद्ध के बाद अजय पीरामल के सेठ पीरामल चतुर्भुज मखारिया मात्र 50 रूपये लेकर राजस्थान के बगड़ कस्बे से बॉम्बे आए थे.

ईशा अंबानी

बगड़ में मौजूद है पीरामल हवेली

राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले में बसे हुए छोटे से कस्बे बगड़ में काफी हवेलियां हैं. इसके साथ ही यहां पर पीरामल ग्रुप की पुश्तैनी हवेली भी मौजूद है. सभी हवेलियों में से अलग पीरामल ग्रुप की हवेली की कुछ अलग ही बात है. इस हवेली की अंदर की वास्तुकला सच में काफी भव्य और सुंदर है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि अब इस हवेली का इस्तेमाल एक शानदार होटल के रूप में किया जाता है और यहां विदेशी गेस्ट आकर रुकते है. आपको बता दें अभी भी ये पुश्तैनी हवेली पीरामल ग्रुप के पास ही है.

बेहद खास है राजपुताना इतिहास

इतिहास से पता चलता है कि यहां सन 1443 (पंद्रहवी शताब्दी) से लेकर मध्य 1750 तक शेखावत राजपूतों का अधिकार था. उस समय शेखावत राजपूतों का आधिपत्य सीकरवाटी और झुंझुनूवाटी तक था. उस समय यहां शेखावतों का राज था इसलिए इस क्षेत्र को शेखावाटी कहा जाता था.

लेकिन रहन-सहन, भाषा, बोली, खान-पान, पहनावा और सामाजिक-सांस्कृतिक तौर-तरीकों में अधिकतर समानता होने के कारण झुंझुनू और चूरू जिले को भी शेखावाटी का हिस्सा माना जाने लगा. इतिहासकार सुरजन सिंह शेखावत की किताब ‘नवलगढ़ का संक्षिप्त इतिहास’ की भूमिका में उन्होंने लिखा है कि राजपूत राव शेखा ने यहां 1443 से लेकर 1488 तक शासन किया था.

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