आपने अब तक के सफर में कई बार ट्रेन से यात्रा की होगी और जब भी आप यात्रा करते हैं तभी आपने देखा होगा कि किसी रेलवे स्टेशन पर जंक्शन, तो किसी पर टर्मिनल/टर्मिनस या फिर सेंट्रल लिखा हुआ है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन तीनों में आखिरकार अंतर क्या है? अगर आपको इन तीनो में अंतर नहीं पता है तो आज हम आपको इन तीन अलग-अलग शब्दों का मतलब समझाते हैं।
टर्मिनल / टर्मिनस
आपको टर्मिनल और टर्मिनस शब्द में कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं है। इन दोनों शब्दों का मतलब एक ही होता है। जिस भी रेलवे स्टेशन पर टर्मिनल लिखा होता है उसका मतलब है कि यह रेलवे स्टेशन आखरी स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन से आगे ट्रेन नहीं जाएगी। यहां आकर ट्रेन की यात्रा समाप्त हो चुकी है। आपको हम आज देश के कुछ ऐसे ही टर्मिनल रेलवे स्टेशन बताते हैं जैसे – मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, दिल्ली का आनंद विहार टर्मिनल है।
जंक्शन
कई बार आपने रेलवे स्टेशन पर जंक्शन लिखा हुआ देखा होगा। इसका मतलब होता है कि यहां से दो से ज्यादा ट्रेनों के रूट है अर्थात इस स्टेशन पर एक ट्रेन के आवागमन के लिए कम से कम तीन रास्ते मौजूद है जिसमें एक ट्रेक से ट्रेन आती है और अन्य ट्रेक से अपने जाने के लिए रास्ता चुनती है। ऐसे स्टेशनों पर ट्रेनों के आने-जाने में दिक्कत नहीं होती है। आपको बता दे देश का सबसे बड़ा जंक्शन मथुरा जंक्शन है यहां कम से कम ट्रेनों के लिए 7 रूट निकलते हैं।
सेंट्रल
आपने कई रेलवे स्टेशनों पर सेंट्रल लिखा हुआ जरूर देखा होगा। क्या आपको इसका मतलब पता है ? अगर नहीं तो चलिए हम बताते हैं। जिस भी स्टेशन पर सेंट्रल लिखा हुआ होता है तो इसका मतलब है कि यह रेलवे स्टेशन सबसे मेन और सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन पर एक साथ कई ट्रेनों का आवागमन होता है। उन जगहों पर सेंट्रल रेलवे स्टेशन बनाया जाता है जहां दूसरे रेलवे स्टेशन मौजूद हो। सेंट्रल स्टेशनो के द्वारा शहरों को एक-दूसरे के साथ जोड़ा जाता है। देश के कुछ मुख्य सेंट्रल रेलवे स्टेशन जैसे कि मुंबई सेंट्रल, कानपुर सेंट्रल है।