भारत में बहुत सारे धर्म के लोग रहते हैं जो अपने हिसाब से जानवर और जीवो को मानते हैं। इस तरह भारत में कुछ लोग सांप की पूजा करते हैं। लोगों सांप को भगवान की तरह पूजते हैं वह पुराने शास्त्रों के कारण मुताबिक शेषनाग पर ही पृथ्वी टिके हुए है। भगवान शिव जी के गले में भी नाग धारण करते थे। नाम पंचमी के दिन सांपो को पूजे जाने का वरदान दिया गया है। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा की जाती है।
कुछ लोग सांप तीर्थ पर जाकर चांदी के बने नाग नागिन की पूजा करते है। उन लोगों का माना है कि ऐसा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। इस के इलावा सांपो की देवी मनसा जी की भी पूजा मुख्या रूप से बंगाल और पूर्ण भारत में की जाती है। हिंदू धर्म में सांप का बहुत महत्त्व है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का फरसाबहार में सांपों के अधिक संख्या के कारण इस इलाके की पहचान नागलोक के नाम से है बल्कि यहाँ के लोग के संस्कृति का हिस्सा है यहाँ कुछ गांव है जिसके नाम सांपों के नाम पर है आदिवासी के गोत्र और उनकी परंपराओं में भी साथ जुड़ा है या आदिवासी परिवारों के अधिकांश नागवंशी और नागेश्री है इस सांप की इनमें सांप की पूजा की परंपरा तो है ही यहाँ सांपो को भी मरते भी नहीं है।
आज से 2 साल पहले तक हॉस्टल 100 से 150 लोगों की मौत सांप या किसी विशाल जीवन के काटने से हो जाती थी अभी से आंकड़ा 50 से 70 है। जहाँ पर कुल 40 प्रजातियाँ प्रजातियों के साथ हैं जिनमें से करीब से चार से पांच प्रजातियाँ सर्वप्रथम बेकार है ऐसे में बारिश के इस इलाके में नंगे चलने का मतलब मौत को दावत देना है। यहाँ से 1 किलोमीटर दूर उड़ीसा और 30 किलोमीटर दूर झारखंड की सीमा है इन सीमावती राज्यों में कई गाँव का नाम सांप के सगुन रूप में भी देखा जाता है।
लोक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में जब भीम छोटे थे, तब दुर्योधन ने षडयंत्र कर धोखे से उन्हें जहरीली खीर खिला दी थी। इसके बाद मरनासन्न भीम को नदी में बहा दिया। कहते हैं कि मृत अवस्था में भीम बहते-बहते इव नदी में आ गए थे, जहाँ पर नदी में स्नान कर रही नाग कन्याओं की नजर उस पर पड़ गई। इसके बाद नागलोक ले जाकर इलाज के बाद भीम को नई जिंदगी मिली और लौटते समय भीम को हजार हाथियों का बल नागलोक के राजा से मिला। इसके बाद से इंसानों के लिए नागलोक में प्रवेश वर्जित कर दिया गया। तब से आज तक जो भी गया, वापस नहीं लौटाता।