इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के दौर में फ्रॉड होना आम बात हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया 31 मार्च 2021 को आंकड़े जारी किए थे। उनके मुताबिक भारत में बीते एक साल से 49 हज़ार करोड रुपए का बैंक फ्रॉड हुआ है। और बीते 10 सालों की बात करें तो बैंक फ्रॉड में 40% से भी ज़्यादा से बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इन फ्रॉड में गवाए रुपए वापस आ सकते हैं। अगर बैंक इसकी सही तरीके से रिपोर्टिंग करें। उसके लिए आरबीआई ने नियम बनाए हैं। इन्हीं नियमों की उल्लंगना करने पर आरबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया उसे पर एक करोड रुपए और प्राइवेट बैंक पर एक करोड़ 95 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
तो आईए जानते हैं अगर ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड हो जाए तो कौन-सा क़दम उठाना चाहिए। ताकि पैसे वापस आने की संभावना हो?
ऑनलाइन लेन-देन को लेकर आरबीआई का नियम है। कि ऐसे केस में ग्राहकों की जिम्मेदारी कम होती है। और बैंक की ज़्यादा होती है। इसीलिए उसने स्टैंडर्ड चार्ट बैंक पर जुर्माना लगाया है. यह फाइन बैंकों से जुड़े साइबर सुरक्षा ढांचे का पालन नहीं करने की वज़ह से भी लगाया गया है। यह दोनों नियम आरबीआई की 2016 में जारी की गई लिस्ट का हिस्सा है। इसके मुताबिक सिक्योरिटी से जुड़े नियमों का पालन नहीं करने पर बैंक पीड़ित कस्टमर को गवाए हुए रुपए का कुछ हिसा शैडो बैलेंस के तहत वापस करने पड़ेंगे।
शैडो बैलेंस क्या है ?
मान लीजिए किसी कस्टमर के साथ ₹50 हजार का बैंक फ्रॉड होने के बाद उस कस्टमर ने पुलिस में इसकी शिकायत की और बैंक में भी की इसके बाद बैंक को यह शिकायत आरबीआई में करनी पड़ती है। और जब यह सब कुछ हो जाता है. और तय हो जाता है कि कस्टमर के साथ फ्रॉड हुआ है। तो बैंक कस्टमर को उसके गवाए पैसे लौटता है। पर यह पैसे कस्टमर निकल नहीं सकता। क्योंकि यह शैडो बैलेंस होता है। किसी भी कस्टमर के बैंक अकाउंट में जो रुपए होते हैं। बैंक उनका बीमा करता है। फ्रॉड में गवाए पैसे बीमा कंपनी से वापस मिलने पर बैंक कस्टमर को वो रुपए लौटा देता है।
SBI के बारे में।
एसबीआई उसके खिलाफ भी आरबीआई ने अपने दिशा निर्देश के मुताबिक जुर्माना लगाया है। नियमों के मुताबिक बैंक्स को एक तय समय में फ्रॉड के बारे में जानकारी देनी होती है। दरअसल आरबीआई ने एसबीआई के कुछ बैंक्स खातों का निरीक्षण किया था। और पाया कि उसने कुछ फ्रॉड की रिपोर्टिंग करने में देर की थी। देरी की वज़ह से एसबीआई पर जुर्माना लगाया।
आरबीआई के अनुसार फ्रॉड होने पर बैंक अकाउंट तुरंत ब्लॉक करवा दे।
उसके बाद पास के पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम के पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
इसके बाद बैंक को अपने साथ हुए फ्रॉड की पूरी जानकारी लिखित में दे।
अगर आपको कोई मैसेज या लिंक आया हो और उसकी भी जानकारी दें।
यह सब आपको फ्रॉड हुए तीन दिन के अंदर करवाना पड़ेगा।
उसके बाद यह बैंक की जिम्मेवारी है कि वह इसकी रिपोर्टिंग आरबीआई को दे। एसबीआई ने आरबीआई को रिपोर्टिंग नहीं करी थी। जिसकी वज़ह से लोगों को उनके पैसे वापस नहीं मिले थे। आरबीआई के नियमों के अनुसार अगर फ्रॉड की रिपोर्टिंग का प्रोसेसर समय पर हुआ है। तो 10 दिन के अंदर कस्टमर के पैसे उनके अकाउंट में आ जाते हैं।