धनतेरस के दिन किस देवी देवता की पूजा करना होता है शुभ जाने

Sumandeep Kaur
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दीपावली के  त्यौहार से पहले  धनतेरस के दिन धन्वंतरि की पूजा की जाती है।  लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि धन्वंतरि धन के  देवता नहीं है।  इसका इतना ही नहीं बल्कि उन्हें अपने पहले जन्म में भी देवता का दर्जा भी नहीं मिला था।  इसलिए उनके लिए उन्हें दूसरा जन्म लेना पड़ा ऐसा क्यों हुआ और इनका धनतेरस से क्या नाता है भारतीय धर्म में पौराणिक कथाओं में धन्वंतरि की रोचक कथा है।

हिन्दू धर्म में धनतेरस का महत्व

हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व  एक दिन का त्योहार नहीं बल्कि इसके साथ कुछ और भी त्यौहार जुड़े होते हैं।  इसमें एक धनतेरस है यह  तीन हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धन्वंतरी  के रूप में अवतार लिया था। और  माना जाता है कि ऐसे पर्व से दिवाली का उत्सव की शुरुआत होती है।  यह  हिंदू धर्म की मिथकों कथाओं में धन की देती माता लक्ष्मी जी  को माना जाता है।  वह इधन  के देवता को कुबेर  कहे जाते हैं ऐसे में धन्वंतरि का धनतेरस से किया नाता  है।  उसे और उनके उन्हें देवता की उपाधि कैसे मिली इसकी एक रोचक पैराणिक कथा है।

धन्वंतरि  भगवान का अवतार

धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।  पुराणों के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान विष्णु ने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के क्षेत्र से तिथि को धनवंतरी के रूप में अवतार लिया था।  इसीलिए इस दिन के दिन भगवान ने धनवंती को धनतेरस के रूप में पूजा जाता है।  कहा जाता है कि धनवंतरी समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर निकले थे।

धन्वंतरि  अमृत कलश लेकर प्रकट होने कारण उनका  बर्तनों से गहरा नाता  बनाया जाता  है।  इसीलिए धनतेरस पर बर्तन विशेष तौर पर कलश खरीदना शुभ माना जाता है।  यहां तक कि उनका अमृत कलश एक तरफ से समुद्र का प्रतीक है और धनतेरस के दिन सोने चांदी की वस्तु खरीदना भी शुभ माना जाता है।

कुबेर के एकादशी होने की कथा

लेकिन धन्वंतरि की कथा केवल समुद्र मंथन में से प्रकट होने तक ही सीमित नहीं पुराणों में उन्हें चिकित्सा का देवता माना जाता है।  यहां तक कि उन्हें देवताओं का चिकित्सा शिक्षक माना जाता था।  धनवंतरी के दो जन्मो  का आलेख है।  उनका सबसे पहले जन्म समुद्र मंथन में हुआ और इस लिए  भगवान विष्णु के प्रथम अंश माने जाते हैं। कुबेर के एकादशी  होने के पीछे कथा यह कहती है कि कबीर ने दूसरे स्थान पर बैठकर को तप कर रहे थे तो भगवान शिव   ने कहा तुम्हें  मुझे तपस्या से जीत लिया है तुम्हारा एक नेतर पार्वती के तेज से नष्ट हो जाएगा इसलिए तो मैं एकाक्षीपिंगल कहलाओगे।

माता लक्ष्मी की पूजा

इस दिन भगवान धन्वंतरि ,माता लक्ष्मी , कुबेर और गणेश जी की पूजा की जाती है।  धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरागत है।  धनतेरस पर सोना चांदी और बर्तन खरीदने के अलावा झाड़ू खरीदने का भी विशेष महत्व है। धनतेरस की रात को लक्ष्मी और धनवान संबंध के सामान की पूरी रात दिए जलाए जाते हैं।  धनतेरस पर यमराज के निमित  दीप दान  किया जाता है।  धनतेरस पर साबुत धनिया खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि  का जन्म हुआ था।  धनतेरस पर 13  दीप जलाने की परंपरा है।  हिंदू धर्म इसे दिन खरीदारी विशेष कर सोना या चांदी की वस्तु और नए बर्तनों की खरीदारी की बेहतर शुभ दिन माना जाता है।  धनतेरस पर यम देव के नाम पर व्रत भी रखा जाता है।

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सुमनदीप कौर, जो bwoodtadka.com के साथ काम कर रही है, वह एक Hindi content Writer है, जिनके पास 5 साल के समाचार लेखन का विशेष अनुभव है। उन्होंने समाचार लेखन में अपनी योगदान दी है और उनका योगदान समाचार प्रशंसकों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है।सुमनदीप कौर के द्वारा लिखे गए समाचार लेख बॉलीवुड, टेलीविजन, मनोरंजन और सेलेब्रिटी दुनिया से जुड़े होते हैं, और उनकी रचनाएँ पाठकों को नवाचारिक और महत्वपूर्ण समाचार प्रदान करती हैं। उनका विशेष ध्यान समाचार की सटीकता और विशेषज्ञता के प्रति है, जिससे वह अपने पाठकों को हमेशा सत्य और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।सुमनदीप कौर के जैसे समाचार लेखकों का योगदान समाचार साहित्य में महत्वपूर्ण होता है, और उनकी निष्ठा और कौशल समाचार पत्रकारिता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्तर पर पहुँच गई है।
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