केन्या के मसाई मरा नेशनल रिजर्व में एक अजीबोगरीब छिपकली की प्रजाति सामने आए हैं। सांप की तरह लंबी दिखने वाले इस छिपकली के पैर काफी छोटी है जानकारो का कहना है कि यह एक दुर्लभ प्रजाति की छिपकली है। जो विलुप्त होने के कगार पर है। इसके फोटोस को जर्मनी के रहने वाले फोटोग्राफर सज्जाद वन वर्ग ने क्लिक किया है सजोर्ड ने बताया कि जब मैंने पहली बार इसे देखा तो ऐसा लगा मानो यह कोई साप हो लेकिन असल में यह एक छिपकली थी। जिसके छोटे-छोटे पैर भी हैं और इसकी लंबाई लगभग 20 इंच थी।
ऐसी भी कुछ छिपकली होती है मैंने इंटरनेट पर भी इसकी जानकारी देखने की कोशिश की लेकिन ना तो इसकी तस्वीर मिली और ना ही इससे जुड़े कोई जानकारी मिली। ऐसे में मैंने इसकी फोटोस को फेसबुक पर डाल दिया। इसके बाद डॉक्टर फिल्प रागिनी नाम की एक प्रोफेसर ने मुझसे संपर्क किया जो अपनी बुक में इस फोटोस को शामिल करना चाहते थे इस बारे में रेप्टाइल के ऊपर किताबें लिखने जा रहे डॉक्टर फिल्प ने बताएं कि ये एक दुर्लभ प्रजाति के छिपकली है।
जो घास के मैदान में मिलती है पहली बार इसके फोटोस सामने आए हैं हैरानी के बात यह है कि आखिर यह मसाई मरा नेशनल रिजर्व में कैसे पहुंची उन्होंने आगे कहां की इसके पहले वह दो बार इस विचित्र छिपकली को देख चुके हैं। जिसमें से एक मरी हुई और दूसरी जिंदा थी लेकिन उनके पास कैमरा नहीं था। जिसकी वजह से इसके फोटोस को क्लिक नहीं कर पाए। उन्होंने बताया कि यह छिपकली पैरों के सहारे दीवार पर भी चढ़ जाती है पीछे के पैर तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं।
इसका इस्तेमाल यह शिकार को तो पकड़ने के लिए करते हैं इसकी खोज से सांप और छिपकली के बीच नया कनेक्शन मिला है एक थ्योरी यह भी है कि पहले सांप के पैर हुआ करते थे। जो बाद में समय के साथ गायब हो गए। लाखों साल पुराने जीवाश्म में सांप के पैरों के निशान पाए गए हैं। साइंटिस्ट की माने तो सांपों के पूर्वज पैरों वाले थे। और इस छिपकली का साइंटिफिक नाम ऑस्ट्रेएबलफेरस बरेलीयोनी है ये 2 इंच की (5सेंटिमेर्तेर ) तक लंबी होती है। इसके चमकदार नारंगी पूछ होती है अपने लंबी पूछ से घास में शिकार करती है। और मिट्टी के दरारों में रहती है रिसर्च छिपकली आबादी के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं ताकि उन्हें बचाने में मदद कर सके।
पर आज कि संसार में इंसानों के कारण बहुत से जानवर विलुप्त हो रही है उनकी प्रजातियों खत्म हो रही है कहीं तो जानवरों का शिकार किया जा रहा है तो कहीं उनको मार मार कर खाया जा रहा है अब इंसान ने जानवरों का रहना मुश्किल कर दिया है।