भारत में बहुत सरे पशु और पक्षी है वैसे ही भारत में एक नीलगाय नाम का भी जानवर है। जो देखने में बिलकुल गाय के तरह दीखता है। सच तो यह है नीलगाय एक मुर्ग है। यह एशिया का सब से बड़ा मुर्ग है। इस की लाबाई लगभग 1.5 मीटर और इसकी ऊंचाई 1 मीटर ऊंचा है। नीलगाय का वेट लगभग 200 किलोग्राम तक होता है।गांवों में इसे लीलीगाय, नीला बैल या घड़रोज भी कहा जाता है। नीलगाय का नाम सुनकर कुछ लोग हैरान हो जाते है क्योकि ना तो इस का रंग नील गाय की तरह दिकता है और ना ही यह गाय की तरह है।
नीलगाय का रंग थोड़ा सा सलेटी रंग का होता है जो देखने में कुछ कुछ नीला होने का अबाब देता है। मादा नीलगाय अपने कान और रंग के कारण गाय के समान दिखाई देती है। नीलगाय के पैरो के बारे में बात करे तो इस के पैर आगे के पैरो के मुकावले पीछे के पैर जायदा मजबूत होते है। नीलगाय में जो नर होते है केवल उनके के ही छोटे और नुकीले सिग होते है। जो की 20 सेंटीमीटर लम्बे होते है। नीलगाय भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नीलगाय अन्य मुर्ग के मुकाबले यदा तेज़ नहीं दौड़ सकता है। इस लिए दूसरे जानवर जैसे शेर , चीता, और बाकि शिकार करने वाले जानवरो के आगे नीलगाय जल्दी डेर हो जाता है। नीलगाय की एक खासियत यह है की यह लंबे समय तक बिना पानी पीए रह सकती है। इस जानवर को पेड़ पौधों की पत्तिया और घास खाना अच्छा लगता है। इसी कारण यह जानवर फसलों का ज्यादा नुकशान करते है। इस जानवर को जगल में रहना पसद नहीं है यह ज्यादा घास वाले मैदानों में रहता है। यह पानी के एरिया से बहुत दूर रहता है इस वजह से इस का बहुत काम शिकार होता।
नीलगाय प्रमुख रूप में भारत के मैदानी इलाको में पाए जाते है। इस के इलावा यह नेपाल , पाकिस्तान , भी पाए जाते है। वह के लोग इस को गाय ही समझ ते है इस लिए इस कोई भी शिकार नहीं करता। वह के लोग इस को पालतू बना के अपने खेत में इस काम भी करवाते है। लोगो का माना है यह एक समझदार जानवर है। यह खतरे की आहट सुन कर 300 मीटर से 700 मीटर के लगभग उड़ जाता है। मादाएं दो साल की उम्र तक यौन रूप से परिपक्व हो जाती हैं जबकि पुरुष चार या पांच साल की उम्र तक यौन रूप से सक्रिय नहीं होते हैं। वर्ष का वह समय जब संभोग होता है। नीलगाय जुड़वा या 3 बच्चे एक साथ पैदा कर सकती है।
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