आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं। जिसे देखने के बाद आपको यकीन हो जाएगा कि ईमानदारी से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कहानी एक नौसेना अधिकारी की है जिसने 68 साल बाद अपनी उधारी चुकता की वो भी ब्याज के साथ । इस अधिकारी को हर वक्त 28 रुपए की उधारी सताती थी जिसके बाद नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी सात समंदर पार से हरियाणा के हिसार पहुंचे। इतने साल बाद उन्होंने 28 रुपये की बजाय दस हजार रुपये चुकाए। जिस हलवाई दादा से उन्होंने उधार की मिठाई खाई थी, वो तो नहीं मिले लेकिन उनकी दुकान जरूर मिली, जिसके बाद उनके पोते को अधिकारी ने उधार वाली कहानी बताई।
ये उधारी 10वीं की पढ़ाई करते समय कामोडोर बीएस उप्पल ने हिसार के मोती बाजार स्थित दिल्ली वाला हलवाई के यहां की थी। खास बात है कि यह उधार दिल्ली वाला हलवाई के स्व. शंभू दयाल से लिया गया था मगर अब उधार को उनकी तीसरी पीढ़ी ने लिया है। उधार देने के बाद सेवानिवृत्त कामोडोर बीएस उप्पल ने एक ही बात कही कि पैसे चुका देने के बाद उनके मन से एक बड़ा बोझ कम हो गया है।
हरियाणा में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से कामोडोर बीएस उप्पल सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब तक 10वीं कक्षा में थे तो कई बार जेबखर्च कम मिलता तो दिल्ली वाला हलवाई के यहां मिठाई लेकर उधार कर लिया करते थे। करीब 1953 में दुकान पर 28 रुपये उधार थे कि तभी उनकी नौकरी नौसेना में लग गई। इसके बाद सेवानिवृत्त हुए और अपने बेटे के साथ अमेरिका बस गए। मगर मन में दो ही बात याद थी कि पहले तो हिसार में दिल्ली वाला हलवाई के 28 रुपये चुकाने हैं और जहां से दसवीं पास की है यानि हरजीराम हिन्दु हाई स्कूल वहां जाना है। इस बार वह स्कूल तो नहीं जा पाए मगर दिल्ली वाला हलवाई को उधार जरूर चुकता कर दिया।
गोशाला में दान करेंगे 10 हजार रुपये
शंभू दयाल दादा का स्वर्गवास 16 वर्ष पहले ही हो चुका है। पोते ने बताया कि उधार की मुझे जानकारी नहीं थी तो मैंने मना कर दिया और ऐसे काेई इतने साल पुराना उधार कभी चुकता करने भी नहीं आया। मैंने कामोडोर उप्पल से कहा कि आप इस धनराशिक को गोशाला में दान कर दें आपका भार उतर जाएगा, मगर वह नहीं माने और ये रुपये देने की बात अड़ गए। लिहाजा उनका सम्मान रखते हुए हमने इस धनराशि को ग्रहण कर लिया। अब वो धनराशि को गौशाला में दान करेंगे।