बिहार का प्रचलित त्योहार दीपावली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। इस त्यौहार में सूर्य देवता की उपासना की जाती है। यह त्यौहार सबसे ज़्यादा उत्तर भारत में विशेष रुप से बिहार में मनाया जाता है छठ पूजा सूर्य देवता की उपासना का त्यौहार है। पुरानी मान्यता के अनुसार छठ को सूर्य देवता की बहन माना जाता है। छठ पूजा से घर में सुख शांति और धन आता है। छठ पूजा में अस्त सूर्य और उदय सूर्य को अरग दिया जाता है। वैसे तो सालों में दो बड़े अफसर पर सूर्य देवता की आराधना और पूजा पाठ करने का विधान होता है। छठ पूजा चार दिनों तक चलती है। छठ पूजा में सभी महिलाएँ अपने लिए छठ माता से सूर्य जैसा प्रतापी और यश को प्राप्त करने वाली संतान के लिए प्रार्थना करती है।
कौन है देवी षष्ठी?
छठ देवी सूर्य देव की बहन है। पुराने ग्रंथो में बताया गया है भगवान श्री राम के अयोध्या आने के बाद माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल सृष्टि को सूर्य उपासना की थी। इसके अलावा महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पहले सूर्य उपासना से एक पुत्र की प्राप्ति से भी इसे जोड़ा जाता है। इसी कारण लोग सूर्य देव की कृपा पाने के लिए कार्तिक शुक्ल सृष्टि को सूर्य उपासना करते हैं।
छठ पूजा बिहार में क्यों सबसे ज़्यादा प्रचलित है?
छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है यह मुख्य रूप से बिहार वासियों का त्यौहार है। इसके पीछे कारण नहीं है। कि इस त्यौहार की शुरुआत के पीछे अंगराज करण को माना जाता है। अंग प्रदेश अब भागलपुर में है जो बिहार में स्थित है। अंगराज करण के विषय में कथा है की ये पांडवों की माता कुंती और सूर्य देव की संतान है। करण अपना आराध्य देव सूर्य देवता को मानते थे। अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के वासी सूर्य देव की पूजा उपासना करने लगे। धीरे-धीरे सूर्य पूजा का विस्तार पूरे बिहार पूर्व अंचल क्षेत्र तक हो गया।
छठ पूजा में कितने घंटे का उपवास है?
ऐसा माना जाता है कि भोग शरीर को शुद्ध करने और 36 घंटे के उपवास के लिए तैयार होने में मदद करता है। परंपरागत रूप से, यह त्योहार माताओं द्वारा अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यहां छठ पूजा का पावन पर्व महापर्व के नाम से भी जाना जाता है।
छठ पूजा की शुरुआत कब और कैसे हुई?
श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई. मान्यता के मुताबिक, एक कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के दौरान हुई थी. इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू की थी. कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे।
छठ पूजा का नियम क्या है?
छठ पूजा में केला जरूर रखते हैं. छठ पूजा में सूर्य को अर्ध्य देना अनिवार्य है, इसके बिना आपकी पूजा पूरी नहीं हो सकती. खरना के अगले दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और उसके अगली सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देकर पारण करते हैं।
छठ पूजा में क्या क्या बनाया जाता है?
छठ आस्था का महापर्व माना जाता है। माना जाता है कि इस त्योहार का पालन करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बरसती है। छठ पर्व को लेकर हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं भी हैं, जिसे हम समृद्धि और पूर्णता की प्रतीक बताते है।
छठ पूजा का पहला रख कब है?
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं. इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है. इस बार नहाय खाय 17 नवंबर 2023 को है।