क्या था पूरा मामला?
करणी सेना का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता राघवेंद्र मेहरोत्रा ने पृथ्वीराज के मेकर्स को कानूनी नोटिस भेजते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में संगठन ने निर्माताओं से 12वीं सदी के शासक का सम्मान करने के लिए फिल्म के टाइटल में ‘पृथ्वीराज’ के नाम से पहले ‘सम्राट’ जोड़ने की मांग करते हुए कहा था कि ‘राजपूत समुदाय फिल्म के शीर्षक की वजह से आहत है।’ इतना ही नहीं उनकी मांग पूरी नहीं होने पर राजस्थान में फिल्म का बहिष्कार करने की धमकी दी थी।
जिसके बाद कई बैठकें हुईं और आखिरकार 27 मई को, पृथ्वीराज निर्माताओं वाईआरएफ ने राजपूत समुदाय की भावना और मांग को ध्यान में रखते हुए, फिल्म का नाम पृथ्वीराज से ‘सम्राट पृथ्वीराज’ में बदलने पर सहमति व्यक्त की।
सामने आया यशराज फिल्म्स का बयान
यशराज फिल्म्स ने करणी सेना के अध्यक्ष को एक आधिकारिक पत्र में लिखा, “प्रिय महोदय, हम, यश राज फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड, 1970 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से अग्रणी प्रोडक्शन हाउस और वितरण कंपनियों में से एक रहे हैं और भारत के सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो में से एक के रूप में विकसित हो रहे हैं। हम सभी दर्शकों के आनंद के लिए लगातार कंटेंट बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
वाय.आर.एफ आगे लिखते हैं, “हम फिल्म के वर्तमान शीर्षक के संबंध में आपकी शिकायत और आपके प्रयास की ईमानदारी से सराहना करते हैं, और आपको विश्वास दिलाते हैं कि हमने किसी भी व्यक्ति (व्यक्तियों) की भावनाओं को आहत करने या अनादर करने के लिए ऐसा नहीं किया था। वास्तव में, हम इस फिल्म के माध्यम से दिवंगत राजा और योद्धा, पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी, उपलब्धियों और हमारे देश के इतिहास में योगदान का जश्न मनाना चाहते हैं।”
यशराज फिल्म्स ने आगे लिखा, “उठाई गई शिकायत को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए, हम फिल्म का शीर्षक “सम्राट पृथ्वीराज” में बदल रहे हैं। हम आपसी समझौते की अत्यधिक सराहना करते हैं। हम करणी सेना और उसके सदस्यों को फिल्म से संबंधित हमारे अच्छे इरादों को समझने के लिए धन्यवाद देते हैं।”