आजकल ओटीटी का जमाना है, अब वो दिन गए जब मनोरंजन के लिए दर्शक थिएटर पर निर्भर रहते थे और वीकेंड का इंतजार करते रहते थे। अब तो हर दिन ओटीटी पर कुछ न कुछ नया कंटेट देखने को मिल रहा है। वैसे तो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्मों और वेब सीरीज की भरमार है। अगर आप रोज भी देखना चाहें शायद तो भी खत्म न हो। लेकिन ढाई से तीन घंटे की फिल्म और लंबी-लंबी वेब सीरीज शायद ही एक दिन में खत्म हो पाएं। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं मीनिंगफुल शॉर्ट फिल्में। इन्हें आप ऑफिस से आते-जाते या फिर ब्रेक टाइम में भी देख सकते हैं।
खीर
खीर दादा और पोती के रिश्ते पर बनी कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में अनुपम खेर ने दादा का किरदार निभाया है। इस फिल्म में अनुपम खेर की पोती उनकी दोस्त को प्रेमिका समझ लेती है। पोती को लगता है कि अनुपम खेर की दोस्त उसकी जगह ले लेगी। यह कहानी इसी पर आधारित है। ये फिल्म आप जी5 पर देख सकते हैं।
जय माता दी
ये फिल्म एक शादीशुदा कपल पर आधारित है। फिल्म में कपल एकसाथ रहना चाहता है लेकिन समाज उनको रहने नहीं देता। फिल्म में लड़की अपने ब्वायफ्रेंड के साथ लिव-इन में रहना चाहती है। ये फिल्म इसी पर आधारित है। ‘जय माता दी’ एक कॉमेडी फिल्म है जो समाज की दाकियानूसी सोच को दिखाती है। ये फिल्म जी5 पर उपलब्ध है।
नेकेड
ये फिल्म उन लोगों के बारे में है, जो सोशल मीडिया पर औरतों को बुरा-भला कहते हैं। ये उन महिलाओं पर भी आधारित है जो इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाती। इस फिल्म में कल्कि कोचलीन और रिताभरी हैं। ये फिल्म यूट्यूब पर मौजूद है।
छुरी
छुरी में अनुराग कश्यप, सुरवीन चावला और टिस्का चोपड़ा हैं। इस फिल्म में अनुराग कश्यप ने एक ऐसे पति का किरदार निभाया है जिसके कई अफेयर होते हैं। उसकी पत्नी पति के अफेयर से थककर उसकी लवर के साथ हिसाब चुकता करने का फैसला करती है। इस फिल्म को आप हॉटस्टार पर देख सकते हैं।
कृति
‘कृति’ एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर शॉर्ट फिल्म है। इसमें मनोज वाजपेयी के साथ राधिका आप्टे, नेहा शर्मा और मनु ऋषि मुख्य भूमिका में थे। इस शॉर्ट फिल्म की शूटिंग दो दिन के भीतर ही पूरी हो गई थी। यह कहानी सपन (मनोज वायपेयी) की है, जो डॉ. कल्पना शाह (राधिका आप्टे) से अपनी दोस्त कृति (नेता शर्मा) की बात करता रहता है। 18 मिनट की यह फिल्म कई बातें कह जाती है।
द स्कूल बैग
यह शॉर्ट फिल्म मां-बेटे की कहानी है। बेटा जिसे अपने जन्मदिन पर नया स्कूल बैग चाहिए, वो हर समय मां के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है। अब बच्चे को बैग मिलेगा या नहीं यह तो आप फिल्म देखकर पता कर लेना, लेकिन 15 मिनट कि यह फिल्म अंत में आपको स्तब्ध जरूर कर देगी। आपको शुरू से ही ऐसा अहसास होने लगता है कि कुछ गलत होने वाला है।