द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल भाई दूज 14 नवंबर 2023 को उदया तिथि में ही मनाया जाएगा।
भाई दूज 2023 का शुभ मुहूर्त
चूंकि हिंदू धर्म में पर्व अक्सर उदया तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं, इसलिए इस साल भाई दूज का त्योहार 15 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। दीपावली पर पूजा का मुहूर्त। इस दिन महिलाएं अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके उज्जवल भविष्य व लंबी आयु की कामना करती हैं. इस साल भैया दूज 14 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. भाई दूज पर टीका करने का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर को दोपहर 01.33 बजे से दोपहर 03.22 बजे तक रहेगा।
भाई दूज की पूजा कब और कैसे करे
उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 14 नवंबर को मनाई जाएगी. भाई दूज बहन भाई को रिश्ते को सेलेब्रेट करने का त्योहार है. भाई दूज राखी की तरह भाई दूज भी भाई और बहन के प्रेम का का त्योहार है।
क्यो मानते है भाई दूज
ऐसा माना जाता है कि जिस दिन अब दिवाली के रूप में मनाया जाता है, उस दिन राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने उनके माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। तभी से यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज कौन सी मिठाई को सुभ माना जाता है
भाई दूज के दिन प्यारे भाई का मुंह मीठा करने के लिए बाजार से मिठाई लाने के बजाए घर में भाई दूज स्पेशल लड्डू बनाएं सामग्री,बेसन , चीनी ,घी ,बादाम, पिस्ता।
भाई दूज की विधि:
- स्नान करके भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खड़ा करें.
- रोली या अष्टगंध से तिलक लगाएं.
- चावल लगाएं.
- हाथों पर मौली बांधें.
- मिठाई खिलाकर आरती करें.
- भाई के हाथ में नारियल दें.
- भाई को भोजन करवाएं.
- भाई बहन के पैर स्पर्श करते हुए उपहार के तौर पर कुछ दें।
दूज का व्रत कैसे रखा जाता है
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और उससे तिलक करवाता है. भाई दूज की थाली में कलावा, रोली, अक्षत, नारियल, मिठाई और एक दीपक रखा जाता है. ऐसा कहते हैं कि भाई दूज पर भाई को तिलक करने से उसका भाग्योदय होता है और अकाल मृत्यु का संकट टलता है।
भैया दूज का व्रत कैसे खोलें
- इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं।
- भाई दूज/भैया दूज के दिन लगभग 5 बजे (ब्रह्म मुहूर्त) में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर शरीर पर तेल मलकर स्नान करें।
- इस दिन भाई तेल मलकर गंगा-यमुना में स्नान करें। (यदि यह संभव न हो तो बहन के घर स्नान करें।)