अगर आप आशियाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं, तो ईंट खरीदते समय सावधान रहें। चिकना और लाल दिखने वाले ईंट को भली भांति परख लें। ऐसा तो नहीं है कि यह ईंट मिट्टी में नमक डाल कर तैयार किया गया हो।क्योंकि खूबसूरत दिखने वाले ईंट की मजबूती बेहद कमजोर है। आशियाना बनाने पर आजीवन सीलन व नोना की समस्या से जूझना पड़ सकता है। यह ईंट सस्ते दामों में उपलब्ध है। खास बात ये है कि यूपी में तैयार हो रही ये ईंट अन्य शहरों में भी भेजी जा रही है।
सूत्रों की मानें तो ईंट भट्ठों का हब दोआबा के 20 फीसदी में नमक का इस्तेमाल किया जा रहा है। खराब मिट्टी वाले ईंट भट्ठों में बहुतायत में नमक का प्रयोग हो रहा है। नमक में मिट्टी डालने से जहां ईंट की पथाई आसान हो जाती है।वहीं पकने पर ईंट लाल व आकर्षक दिखाई देते हैं। पर यह बेहद कमजोर होने के साथ भविष्य में ऐसी ईंट से बनी दीवारों में सीलन व नोना की शिकायत रहती है। जिसे प्लास्टर व पेंट आदि की तमाम कोशिशें बेकार साबित होती हैं।
कोयले की महंगाई ने ईंट कारोबार की दिशा को परिवर्तित कर दिया है। कोयला दो गुना होने पर बड़े पैमाने पर ईंट भट्ठों में तूड़ी का भूसा, यूकेलिप्टस की लकड़ी आदि का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जा रहा है। जिससे ईंट की पकाई कोयले की तुलना में बेहद खराब रहती है। ऐसे में मिट्टी में नमक का प्रयोग करने वाले ईंट भूसा व लकड़ी से पकने के बाद भी लाल और अकर्षक दिखाई पड़ते हैं।ईंट भट्ठा के कारोबार से जुड़े कर्मचारियों की मानें तो नमक का इस्तेमाल मिट्टी का गुणवत्ता और ईंधन पर निर्भर करता है। मिट्टी खराब होने की दशा में ईंट की पथाई से पहले मिट्टी की तैयारी से पहले उसमें नमक मिला कर कुछ घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है। जिसके बाद मिट्टी शाफ्ट व चिकनी होने पर ईंट खूबसूरत दिखते हैं। कोयले से इतर दूसरे ईंधन के प्रयोग में ईंट की क्वालिटी प्रभावित नहीं होती है।
क्या बोले अधिकारी
खनन अधिकारी राजेश कुमार के अनुसार ईंट भट्ठों में नमक के प्रयोग किए जाने की जानकारी उन्हें नहीं है। ऐसा उन्होंने पहली बार सुना है कि ईंट में नमक का इस्तेमाल होता है। वह मामले की जानकारी कराएंगे। जांच के बाद यदि कोई दोषी होता है तो कार्यवाही भी होगी।