छत्तीसगढ़ में 7 दिन बंद रहेंगे सरकारी दफ्तर, हड़ताल पर राज्य सरकारी कर्मचारी, जानें क्या है वजह

Shilpi Soni
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छत्तीसगढ़ में लोगों की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं, दरअसल प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठन एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए है। इसके चलते अगले 7 दिनों तक सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। मालूम हो की कर्मचारियों की यह हड़ताल 25 से 29 जुलाई तक चलेगी, इसके बाद 30 जुलाई को शनिवार और 31 को रविवार का अवकाश है । इतना ही नहीं शिक्षक पहले से ही हड़ताल पर हैं, इसलिए स्कूलों में भी बच्चों को 5 दिन मिड-डे-मील नहीं मिलेगा।

जाने क्यों है कर्मचारी हड़ताल पर?

बता दे की राज्य कर्मचारी इन दिनों  समान DA (महंगाई भत्ते) और HRA (मकान किराया भत्ता) की मांग कर रहे हैं। जैसा की हम सभी जानते है की केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाता है जबकि राज्य कर्मचारियों को महज 22 फीसदी ही मिलता है।

जिसकी वजह से कर्मचारी फेडरेशन ने हड़ताल का आह्वान किया है। इसमें अन्य कर्मचारी संगठन, शिक्षक संघ और पटवारी संघ भी शामिल हो गए हैं। कर्मचारियों की इस हड़ताल के कारण बहुत सारी सेवाएं बाधित हो रही है।

अगस्त के 11 दिन रहेगा सरकारी अवकाश

  • 7 अगस्त: रविवार
  • 9 अगस्त : मोहर्रम
  • 11 अगस्त : रक्षा बंधन
  • 13 अगस्त: शनिवार
  • 14 अगस्त: रविवार
  • 15 अगस्त: स्वतंत्रता दिवस
  • 19 अगस्त : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
  • 21 अगस्त: रविवार
  • 27 अगस्त: शनिवार
  • 28 अगस्त: रविवार
  • 31 अगस्त : गणेश चतुर्थी

मांगें पूरी न होने पर अनिश्चिकालीन हड़ताल की चेतावनी

कबीरधाम टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमेश चंद्रवंशी ने बताया कि ”छत्तीसगढ़ ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां केवल 22 प्रतिशत मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है। कर्मचारियों को अभी भी 6 साल पुराने 6वें वेतनमान के अनुरूप मकान किराया भत्ता मिल रहा है। इसके चलते कर्मचारियों को प्रतिमाह लगभग 4000 से 14000 रुपए की आर्थिक क्षति हो रही है। अगर मांग पूरी नहीं होती है, ताे कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए तैयार हैं।”

BJP सांसद संतोष पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर केंद्र के समान महंगाई भत्ता देने की मांग की है। सांसद की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि ”केंद्र सरकार 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रही है, जबकि राज्य कर्मचारियों को मात्र 22 प्रतिशत ही मिल रहा है। यह केंद्र की तुलना में काफी कम है और कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। इसलिए राज्य कर्मचारियों के हित को देखते हुए केंद्र के बराबर भत्ता प्रदान करें।”

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