Cochlear implant surgery: जन्म से बहरेपन को ठीक करने के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की जाती हैं। आइए जानते इसके बारे में।
Cochlear implant surgery: बहरापन शारीरिक अक्षमता ही नहीं बल्कि जागरूकता के अभाव में यह समाज में टैबू (कलंक) बनकर रह गया हैं। इसलिए इस सर्जरी के बारे में जागरूक होना बेहद आवश्यक हैं। भारत में बहरापन मुख्य स्वास्थ्य समस्याएं विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के अनुसार 63 मिलियन लोग सुनने की क्षमता से जूझ रहे हैं। इसके अलावा देश में हर 1000 बच्चों में से 4 बच्चे सुनने की समस्या से पीड़ित हैं।
जन्म से बहरेपन की परेशानी से बचने के लिए समय से इलाज कराना बेहद जरूरी हैं। कुछ बच्चों को बचपन से ही सुनने और बोलने की समस्या होती हैं। इसका समय रहते इलाज नहीं कराने से यह समस्या जीवन भर के लिए हो सकती हैं। जन्म के समय से यदि बच्चों के माता-पिता इस समस्या पर ध्यान देते हैं तो इलाज और सर्जरी की मदद से इस समस्या को ठीक किया जा सकता हैं। बहरेपन की परेशानी को दूर करने के लिए या इससे बचने के लिए कई तरह के इलाज या ऑपरेशन किए जाते हैं। अगर किसी बच्चे को जन्म से सुनने की समस्या होती है तो इसके लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी (Cochlear implant surgery) कराई जाती हैं। बहरेपन को ठीक करने के लिए यह सर्जरी बहुत उपयोगी मानी जाती हैं। आइए जानते सर्जरी के बारे में।
:- कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी क्या है?
(What is Cochlear implant surgery)
जन्म से ही बोलने और सुनने की परेशानी की समस्या को ठीक करने के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कराई जाती हैं। दरअसल बच्चों में 6 महीने की उम्र तक बोलने और सुनने की क्षमता को देखा जा सकता हैं। ऐसे में अगर आपका बच्चा बोलने में या सुनने में समर्थ नहीं है तो सबसे पहले ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिएं। अगर बच्चे को बोलने या सुनने की समस्या है तो आप इसके समाधान के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं।
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को कान के अंदर या बाहर फिट किया जाता हैं। जिससे उनकी सुनने की क्षमता ठीक हो जाती हैं। कान में मौजूद कॉक्लियर नर्व को इस डिवाइस की मदद से जोड़ा जाता है जो आवाज को सुनने में सहायता करती हैं। इस सर्जरी में सुनने की क्षमता को ठीक किया जाता हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज को इस सर्जरी से सुनने की क्षमता अधिक हो ही जाए।
:- कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कैसे की जाती हैं? (How is cochlear implant surgery performed)
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी तब की जाती हैं जब मरीज को दोनों कानों से सुनने की क्षमता कम हो जाती है या फ़िर खत्म हो जाती हैं। कान में लगा उपकरण से सुनने की क्षमता में सुधार नहीं होने पर इस सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता हैं। जिसमें मरीज को सबसे पहले बेहोश किया जाता हैं। फ़िर कान के पीछे और अंदर एक चीरा लगाया जाता हैं। उसके बाद कॉक्लियर इम्प्लांट डिवाइस को कान में लगाया जाता हैं। यह डिवाइस कान के बाहर की तरफ होता हैं। कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी को करने में 2 से 4 घंटे का समय लगता हैं। परंतु मरीज को किसी और तरह की परेशानी है तो उनकी सर्जरी में ज्यादा समय लग सकता हैं।
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के बाद की सावधानियां (Precautions after cochlear implant surgery)
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के बाद मरीज को डॉक्टर कुछ दवाओं को लेने के लिए बोलते हैं। यह सर्जरी होने के बाद भी डॉक्टर तुरंत अस्पताल से छुट्टी नहीं देते हैं। कुछ दिनों तक डॉक्टर की नजर में रहने के बाद मरीज को घर जाने की सलाह दी जाती हैं। सर्जरी के बाद समय-समय पर मरीज को अस्पताल आने की सलाह दी जाती हैं। सर्जरी के बाद डिवाइस का प्रयोग के बारे में मरीज को सही जानकारी देनी चाहिएं। आप स्पीच लैंग्वेज थैरेपिस्ट या ऑडियोलॉजिस्ट से परामर्श कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिएं।
शुरुआत में असुविधाजनक लग सकता हैं। (It may seem inconvenient in the beginning)
कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के बाद सुनाई देना थोड़ा अलग हो सकता हैं। लेकिन कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद व्यक्ति इसका आदि होने लगता हैं। इस उपकरण की मदद से व्यक्ति हर तरह की आवाजों तथा अन्य ध्वनियों को सुन और समझ सकता हैं।
:- कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के माध्यम से भारत में बहरेपन के इलाज में सुधार (Improving Deafness Cure in India through Cochlear Implant Surgery)
भारत में बहरेपन की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जाता हैं। बहरेपन को विकलांगता के रूप में समझा जाता हैं। समाज में इस परेशानी को कलंक माना जाता हैं। इस समस्या को लगातार अनदेखा किया जा रहा हैं। जिन बच्चों में बहरेपन की समस्या हैं वह इंसान उस दुनिया में रहते हैं जहां पर ना कुछ सुन पाते हैं, ना कुछ बोल पाते हैं। जिस कारण में पढ़ लिख भी नहीं पाते हैं। वे समाज में कुछ बोल पाने यह समझ पाने में सक्षम नहीं रहते।