इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 24 अक्टूबर मंगलवार के दिन है। आपको बता दें कि दशमी तिथि का आरंभ 23 अक्टूबर को शाम के समय 5 बजकर 44 मिनट पर होगा और इसका समापन 24 अक्टूबर को 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
मंगल कार्यों के लिए ये दिन है शुभ
कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीश व्यास ने बताया कि विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है, यानी इस दिन मांगलिक कार्यों को करना शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, नामकरण भूमि पूजन, कर्ण छेदन ऐसे शुभ कार्य आप इस दिन कर सकते हैं. विवाह संस्कार को विजयादशमी के दिन निषेध माना गया है
राम के पदचिह्नों पर चलने का शुभ मुहुर्त
इस तिथि की विजय यात्रा मात्र लंका या रावण पर की जाने वाली राजनीतिक जयमात्र नहीं है, बल्कि सनातन धर्म और मानवीय मूल्यों की विजय है। यह दुख में धैर्य करने और सुख के समय कभी न इतराने के उपदेश से आरंभ हुई थी। यह अवसर भगवान श्रीराम के पदचिह्नों पर चलने के लिए संकल्प लेने का शुभ मुहूर्त है। दशहरे का पर्व निरपराध लोगों को सतत रुलाने वाले रावण के अहंकार रूपी दस सिरों और पौरूष की दुरुपयोगिनी बीस भुजाओं के विनाश का प्रतीक है। विजयदशमी की पूर्वपीठिका का आरंभ आश्विन शुल्क पक्ष के पहले नवरात्र से ही हो जाता है।
नीलकंठ के दर्शन शुभ
लोकहित के लिए विष पीकर अपने कंठ को नीला कर लेने वाले भगवान शिव के रूप नीलकंठ के दशहरे के पर्व पर दर्शन बहुत ही सौभाग्यपूर्ण माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान नीलकंठ दर्शनार्थियों को स्वस्थ, सुखी और यथावत रहने का आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि लोग सजधजकर स्वस्थ प्रसन्न मन से उनका दर्शन करते हैं।
रुके काम शुरू हो जाते हैं
इस पर्व से पहले बरसात के कारण राजाओं की यात्राएं और चातुर्मास के कारण सन्यासियों के आवागमन स्थगित होते हैं, लेकिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के आते-आते मार्ग सुगम हो जाते हैं। स्वच्छ अम्बर में पवन-संयोग के कारण मेघ बलाहक पक्षी की तरह उड़ने लगते हैं। ऋतु सुहावनी हो जाती है। फसलें लहलहाने लगती हैं।
दशहरे का शुभ मुहूर्त
इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 24 अक्टूबर मंगलवार के दिन है। आपको बता दें कि दशमी तिथि का आरंभ 23 अक्टूबर को शाम के समय 5 बजकर 44 मिनट पर होगा और इसका समापन 24 अक्टूबर को 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। बता दें कि इस साल दशहरा पर दो बहुत ही शुभ योग बनने जा रहे हैं एक रवि योग और दूसरी वृद्धि योग का संयोग है।
क्या है पूजा की विधि
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीश व्यास के अनुसार सुबह जल्दी उठकर साफ सुथरे कपड़े पहनकर गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें ,