धर्मेंद्र और हेमा मालिनी एक से बढ़कर एक फिल्में देकर बॉलीवुड इंडस्ट्री में खास जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। यहां तक कि उनके बेटों ने भी खूब नाम कमाया है.
लेकिन इन सबके पीछे उनकी बेटी ईशा देओल, जिनका फिल्मों में आना आसान नहीं था, क्योंकि धर्मेंद्र फिल्मों में काम करने के सख्त खिलाफ थे। इसके बाद भी ईशा ने किसी तरह धर्मेंद्र को काफी मना कर फिल्मों में एंट्री की थी, लेकिन इसके बाद उन्हें अपना एक पैशन हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा।
धर्मेंद्र अपनी दोनों बेटियों को लेकर हमेशा ओवर प्रोटेक्टिव और इमोशनल रहे हैं। यही वजह थी कि उन्होंने बेटियों को फिल्मों में काम नहीं करने से साफ मना कर दिया था। इस बात का खुलासा खुद हेमा और ईशा ने सिमी ग्रेवाल के शो में किया था।
सिमी से बात करते हुए बताया था कि धर्मेंद्र ने न सिर्फ अपनी बेटी को फिल्म में जाने से मना किया था, बल्कि उसने उसे खेल खेलने से भी मना कर दिया था, ईशा को फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था, यहां तक कि उसका चयन पंजाब में फुटबॉल खेलने लिया गया था।
लेकिन यहां भी उसके पिता ने साफ शब्दों में खेलने से मना कर दिया और कहा कि वह पंजाब फुटबॉल खेलने नहीं जा सकती। हेमा ने कहा कि उनके पिता अपनी बेटियों को लेकर काफी सकारात्मक रहे हैं। ईशा ने बताया कि उनके पिता कहा करते थे कि लड़कियां फुटबॉल नहीं खेलती हैं।
ईशा ने शो को बताया था कि उन दिनों लड़कियों के लिए फुटबॉल खेलने की गुंजाइश नहीं थी। और पंजाब जैसी जगह में एक एक्ट्रेस के बच्चे फूट-फूट कर रोते हैं, इस वजह से धर्मेंद्र ने कहा था कि अगर आप पंजाब में फुटबॉल खेलने जाएंगे तो लोग आपको खुद फुटबॉल बना लेंगे।
धर्मेंद्र की इसी इच्छा को ध्यान में रखते हुए ईशा देओल ने उनके सपनों को दबाना ही उचित समझा। ईशा ने कहा था कि उनके पिता की सोच रूढ़िवादी और पारंपरिक रही है।