क्या एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के कारण महिलाओं को प्रेग्नेंट होने की समस्या होती है? जानें एक्सपर्ट से

Smina Sumra
7 Min Read
Endometriosis problem in women

एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की दीवार के टिश्यूज़ बढ़कर बाहर की और फैलने लगते हैं। क्या ये प्रेगनेंसी में बाधक बनती है? आइए जानते हैं डॉक्टर से?

Endometriosis problem in women: एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है। जिसमें गर्भाशय की दीवार बनाने वाले टिशू बढ़ने लगते हैं और बाहर की ओर फैलने लगते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में परेशानी होती है। NCBI के रिपोर्ट के अनुसार इन्फर्टिलिटी की शिकार लगभग एक चौथाई महिलाओं को कंसीव नहीं कर पाने का कारण एंडोमेट्रियोसिस ही होता है।

ज़्यादातर यह समस्या उन महिलाओं में नज़र आती है जिनका कुछ भी शेड्यूल के अनुसार नहीं होता है या फिर जो हमेशा तनाव में रहती है। डॉक्टर के अनुसार एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis problem in women) एक ऐसा बीमारी है यह तब नज़र को आता है जब एंडोमेट्रियम टिश्यू गर्भाशय के बाहर या शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगता है।

ऐसी स्थिति में इम्यूनिटी या हार्मोन्स में आने वाले बदलाव की वज़ह से नज़र आने लगता है। पीरियड के दौरान दर्द होना, पेल्विक पेन या ओवुलेशन पेन इसके मुख्य लक्षण होते हैं। आइए जानते हैं ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी पर क्या असर होता है? और इस समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है।

:- एंडोमेट्रियोसिस में होने वाले लक्षण
(Symptoms of endometriosis)

1. पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होना।

2. अक्सर पेल्विक पेन होना।

3. सेक्सुअल कांटेक्ट के समय या बाद में दर्द होना।

4. ओवुलेशन के दौरान दर्द होना।

5. लोअर बैक या जांघों में दर्द होना।

6. फर्टिलिटी कम होना।

7. जी मिचलाते रहना।

8. हमेशा आलस महसूस होना।

9. मेंस्ट्रूअल के दौरान हैवी फ्लो।

:– एंडोमेट्रियोसिस के स्टेज़
(Stages of Endometriosis)

स्टेज़ 1: एंडोमेट्रियोसिस में शुरुआत के स्टेज़ में अधिकतर महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होती है। या अगर कोई परेशानी होती भी है, तो वह इतनी सामान्य होती है कि उस पर महिलाओं का ध्यान नहीं जाता है। जिस कारण यह स्टेज़ सबसे कम खतरनाक मानी जाती है।

स्टेज़ 2: यह स्टेज़ थोड़ी माइल्ड होती है। इस स्टेज़ में जाने पर इस बीमारी के कुछ लक्षण धीरे धीरे नज़र आने लगते हैं। जैसे पीरियड में देरी होना या पीरियड के समय अधिक दर्द होना।

स्टेज़ 3: ये मॉडरेट स्टेज़ मानी जाती है। इस स्टेज में एक या दोनों के ओवरीज में सिस्ट नज़र आती है। इस स्टेज में लोगों की समस्या बढ़ने लगती है। और ज़्यादातर लोग इस समस्या से इतना ज़्यादा परेशान हो जाते हैं कि उन्हें डॉक्टर की सलाह की ज़रूरत पड़ने लगती है।

स्टेज़ 4: ये स्टेज़ सबसे ज्यादा जोख़िम भरा स्टेज होता है। इस स्टेज में गर्भाशय के बाहर कई भागों में टिशू बढ़कर फैलने लगता है। इसमें एक या दोनों के ओवरीज पर बड़े आकार के शिष्ट नज़र आने लगता है।

:- प्रेगनेंसी के दौरान या बच्चे पर एंडोमेट्रियोसिस का असर
(Effects of endometriosis during pregnancy or on the baby)

ज़्यादातर महिलाओं को इस समस्या के बावजूद सामान्य प्रेगनेंसी होती है। और किसी खास स्क्रीनिंग की आवश्यकता भी नहीं होती है। डॉक्टर आपका ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं। इस स्थिति से जूझ रहे महिलाओं को निम्न लिखित परेशानियां होने का ख़तरा हो सकता है।

1. प्रेगनेंसी के अंत में ब्लीडिंग होने लगना।

2. प्लेसेंटा प्रीविया।

3. एक्टोपिक प्रेगनेंसी।

4. बच्चे का वजन कम मिलना।

5. समय से पहले बच्चे का जन्म होना।

:- एंडोमेट्रियोसिस का फर्टिलिटी पर असर (Effect of Endometriosis on Fertility)

एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति महिलाओं को असर करती है लेकिन ज़्यादातर महिलाएं इस स्थिति के बावजूद भी कंसीव कर लेती हैं। लगभग 65 से 69% महिलाएं जिनमें यह समस्या है फिर भी वह बिना किसी मेडिकल ट्रीटमेंट कि आराम से गर्भधारण कर लेती हैं। इस स्थिति की गंभीरता और टिशू का स्थान भी फर्टिलिटी को असर कर सकता है। अगर महिलाओं की स्थिति बहुत गंभीर स्टेज में है फिर भी नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट हो सकती है। इसलिए आपको ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

:- एंडोमेट्रियोसिस का इलाज़
(Treatment of endometriosis)

1. हार्मोनल दवाइयां

ओरल कंट्रासेप्टिव जिनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हो वह ओवुलेशन को रोकने तथा मेंस्ट्रूअल फ्लो को कम करने में सहायता करता है।

2. पेन किलर

इस समस्या में नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयों को लेने से दर्द में कुछ राहत पाया जा सकता है।

3. लेपराटोमी

यह एक सर्जरी होती है। जिसमें स्वस्थ टिशूज को बहुत कम नुकसान होता है।

4. प्रोजेस्टिन दवाइयां

गोना ड्रॉपिंग रिलीजिंग हार्मोन जिसमें ओवेरियन हार्मोन प्रोडक्शन को रोका जा सके।

5. बाउल सर्जरी

एंडोमेट्रिक टिशु अगर आंतों की दीवार के अंदर निकलना शुरू हो जाता है। उस स्थिति में सर्जरी का प्रयोग किया जा सकता है।

6. लेपरोस्कोपी

एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल जिसमें लेंस और लाइट लगी रहती है। उसको पेट की कैविटी के अंदर डाला जाता है। यह प्रक्रिया एब्डॉमिनल वॉल के अंदर एक छेद करके किया जाता है। यह एक सर्जरी का तरीका है। ऐसा करके डॉक्टर एंडोमेट्रियल ग्रोथ को बाहर निकाल देते हैं।

इस समस्या से बचाव करने के लिए आपको बिल्कुल शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप इलाज का कोई और तरीक़ा ढूंढ रही है, तो ट्रेडिशनल चाइनीज मसाज या न्यूट्रीशनल थेरेपी से कर सकती है। लेकिन किसी भी थेरेपी या इलाज़ खुद से करने से पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लेनी चाहिए।

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