सूर्य ग्रहण को देखने के लिए लोग खास तरह के ग्लासेस और अन्य तकनीक का सहारा लेते हैं। हालांकि पहले लोगों में सूर्य ग्रहण को लेकर इतनी जागरूकता नहीं थी। जब तकनीक विकसित नहीं हुई थी, तो सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखने के लिए मना किया जाता था। क्योंकि इससे आंखों को नुकसान पहुुंच सकता है। हालांकि इसके बावजूद भी लोग सूर्य ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलते थे। सूर्य ग्रहण से जुड़ा एक ऐसा ही दिलचस्प किस्सा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोगों को सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए 44 साल पहले भारत सरकार ने एक अनोखा तरीका अपनाया था।
दरअसल, वर्ष 1980 में 16 फरवरी को देश में ऐसा ही दुर्लभ सूर्यग्रहण पड़ा था। इस सूर्य ग्रहण को देखने के लिए पूरे देशवासी उत्साहित थे। वहीं सरकार को इस बात की चिंता थी कि अगर लोग नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण देखेंगे तो उनकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में सरकार लोगों को घरों में ही रखना चाहती थीं। ऐसे में सरकार ने एक अनोखा तरीका अपनाया। सरकार ने दूरदर्शन पर एक पॉपुलर फिल्म का टेलिकास्ट किया,जिससे लोग अपने घरों में ही रहें और सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव उनकी आंखों पर न पड़े।
उस दौर में फिल्मों के बहुत क्रेज था। घरों की टीवी में केवल दूरदर्शन आता था, जिस पर गिनी-चुनी फिल्में आया करती थीं। ऐसे में सरकार ने लोगों को सूर्यग्रहण देखने से रोकने के लिए सूर्यग्रहण के दिन अमिताभ-धर्मेंद्र की बेस्ट कॉमेडी फिल्म ‘चुपके-चुपके’ को पूरे दिन टेलिकास्ट किया। फिल्म आई तो लोग ग्रहण को भूल गए और टीवी पर चिपक गए। उस वक्त टीवी पर केवल रविवार को ही फिल्म टेलीकास्ट की जाती थीं। लेकिन सूर्य ग्रहण के कारण शनिवार को अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म का प्रसारण किया गया था।
बता दें कि वर्ष 1978 में रिलीज हुई ‘चुपके-चुपके’ एक शानदार सुपरहिट कॉमेडी फिल्म है। इसमें धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर और जया बच्चन ने मुख्य किरदार निभाया था। फिल्म चुपके-चुपके में धर्मेंद्र ने ड्राइवर प्यारे मोहन और प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी का रोल निभाया था।